Saturday, December 17, 2011

आपका "कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा" लेख "यदि लोकपाल भी भ्रष्ट हो गया तो ..." पढ़ कर लगा आप भी


सिरसा 17 दिसम्बर 2011
सेवा में, कल्याणी जी, [kalyani60@gmail.com],
1.) आपका "कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा" लेख "यदि लोकपाल भी भ्रष्ट हो गया तो ..." पढ़ कर लगा आप भी गृहमंत्री की बराबरी कर रहीं है, शायद यही कारण होगा जो आपने अन्ना के अनशन को जहाँ 11 के बजाए 10 दिसम्बर, वहीं अप्रैल से दिसम्बर के बीच के महीनों को 7 के बजाए 6 लिखा. हम आपकी इस कमजोरी को दूर करने के लिए यही राय देते हैं कि"बुद्धि/यादाश्त" हेतु वो प्रयोग करें जो पूजनीय संत श्री आशाराम जी बापू समय-समय पर बतलाते हैं.
2.).... आपको समझ लेना होगा कि लोकपाल भ्रष्ट होने की आपकी धारणा वैसी ही है जैसे कोई शादी से यह कह कर इनकार करता है कि शादी के बाद तलाक हो गया तो. या कोई सफर करने से इसलिए इनकार करता है कि एक्सिडेंट हो गया तो में मर गया तो आदि. कृपया देश को भ्रमित न करें.

Friday, December 16, 2011

क्या यह देश का सौभाग्य है कि अनेक दानव समस्याओं से जूझते देश समाज की हालत को अनदेखा करके लोकपाल में आरक्षण हो के लिए 165 सांसद धरने पर है ?


सिरसा 16 दिसम्बर 2011.
1.) क्या यह देश का सौभाग्य है कि अनेक दानव समस्याओं से जूझते देश समाज की हालत को अनदेखा करके लोकपाल में आरक्षण हो के लिए 165 सांसद धरने पर है ?
2.) .....अच्छा होता अगर आरक्षण के साथ-साथ सांसद "शक्तिशाली लोकपाल, कालेधन, महंगाई, मिलावटखोरी, जहरीले खाद्य पदार्थों" को भी  मांग में शामिल करते. क्या संसद में मांग उठाने की बजाए संसद के बाहार धरना संसद/लोकतंत्र का अपमान नहीं है ?
3.) अजीब विडंबना है बाबा रामदेव द्वारा केंद्र सरकार के मंत्रियों, कांग्रेस के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाना कि काले धन पर चुप रहने के लिए आपार धन का प्रस्ताव किया पर मीडिया चुप है. धन देने के अतिरिक्त बाबा ने अखबार की खबरनुसार जान से मारने का भी आरोप लगाया जैसे गंभीर आरोप पर मीडिया का चुप रहना देश को खल रहा है. मीडिया से सम्बंधित संस्थाएं इस चुप्पी बारे देश को वास्तविक्ता से अवगत करवाने का कष्ट करेंगी ? इस संगीन मामले में वे सभी लोग क्यों चुप है जो मीडिया पर अंकुश की बात होने के साथ-साथ ही हंगामा खड़ा करने में देर नहीं करते ? इस गंभीर मामले को हल्के में लेना अथवा चुप रहना निंदनीय है.

Tuesday, November 15, 2011

श्री राहुल गाँधी का UP के नौजवानों को यह कहना "कब तक मुंबई में ....


सिरसा 16 नवम्बर 2011.
 श्री राहुल गाँधी का UP के नौजवानों को यह कहना "कब तक मुंबई में जा कर भीख मांगोगे, कब तक दिल्ली पंजाब में जाकर मजदूरी करते रहोगे ?" को अगर उसी रूप में समझ लिया मान लिया जाए जैसा कांग्रेस नेता देशको समझा रहे हैं तो श्री राहुल जी के विचार देश के उन नौजवानों पर लागू नहीं होते आजीविका के लिए विदेशों में जाते हैं, गए हुए हैं. जिस मजबूरी अधीन ये लोग विदेशों में जाते हैं उसके लिए दोषी कौन है के बारे कांग्रेस नेताओं को चाहिए कि वे देश को बताएं. आर.के.

अजीब नौटंकी है मीडिया के विरोध में PCI अध्यक्ष बोले, कोई.........


सिरसा 13 नवम्बर 2011.
1.) अजीब नौटंकी है मीडिया के विरोध में PCI अध्यक्ष बोले, कोई आचारसंहिता लागू की बात करे, बदसलूकी कर दी जाए मीडिया इतना तिलमिला जाता है, बोखला जाता है, जमीन आसमान एक करने में लग जाता है. 

 2.) दूसरी और कांग्रेस नेता निरुपम ने टीम अन्ना के श्री केजरीवाल को सत्ता के नशे में लोकतंत्र की हत्या 
 करते हुए धमकी दी कि अगर कांग्रेस का विरोध किया तो देश में हर जगह चप्पल हमला होगा. अन्ना पर बम्ब हमले के स्टिंग ओपरेशन को एक चैनल ने दिखाया. ये सब एक देश हितैषी के साथ किया जा रहा है लेकिन मीडिया के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. जोधपुर में जो हुआ वह निंदनीय है. लेकिन अन्ना व उनके टीम सदस्यों के साथ जो हो रहा है पर मीडिया का चुप रहना भी अशोभनीय है.   
3.) अन्ना टीम को लेकर लेख लिखने वालों [ सही नहीं ] की सोच ठीक उन मानवाधिकारवादियों की तरह है जो आतंकियों के अधिकारों की रक्षा व उनसे पीड़ितों के अधिकारों की उपेक्षा करके करने में कोई शर्म नहीं. ऐसे ही ये लोग भी देश \ समाज हित की उपेक्षा करके टीम अन्ना के विरोध हेतु "राई का पहाड़ व तिल का ताड़" बनाने में अपनी अक्ल के घोड़े दौडाने में बेशर्मी से लगे हुए है. एक को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई वहीं दुसरे की अक्ल \ सोच का फातिया कोई देश हितैषी लेख लिख कर पढ़ देता है की जितनी तारीफ़ की जाए कम है.   
4.) विजय चोपड़ा जी, लगता है कि अशुद्ध ख़बर देना आपके अखबार की नीति बन चुकी है. ऐसा नहीं है तो अशुद्ध खबरे क्यों छप रही है ? [ देखे कालम 4 से 6 पेज- 5 ] पाठक सिरसा

Monday, October 24, 2011

भारत में सबसे खतरनाक व जोखिम भरा कुछ है तो वह है जनहित में कार्य करना. अन्ना ने जनहित को लेकर जो


सिरसा 24 अक्तूबर 2011.
भारत में सबसे खतरनाक व जोखिम भरा कुछ है तो वह है जनहित में कार्य करना. अन्ना ने जनहित को लेकर जो अभियान चलाया उसका विरोध भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले ही नहीं बुद्धिजीवी कहलाने वाले भी कर रहे हैं. आजादी के लिए गाँधी जी ने "भारत छोड़ो" आन्दोलन चलाया. देश आजाद हुआ. आजादी के बाद जो हुआ देश जानता है. शहीद भगत सिंह ने आजादी की लड़ाई लड़ी भारतीयों ने उनके विरोध में गवाही देकर फांसी लगवा दी. स्वामी दयानंद के साथ क्या किया गया को देश जानता है. लेकिन देश के बहादुर लोग यह भी जानते हैं कि कुछ सिरफिरे लोग देशहितैषी अभियान में अड़चन डाल सकते, बदनाम कर सकते है लेकिन देशहितैषी कार्य को बंद नहीं करवा सकते, विफल नहीं कर सकते. कारण प्रकृति की कृपा व देश के लोगों का साथ देश हितैषी लोगों के साथ होना है. जिसकी जीवित मिशाल अन्ना है. 
2.) मान्यवर विनीत नारायण जी, आपका लेख "जनलोकपाल....." पढ़ कर लगा कि आपके साथ बीजेपी नीत राज में जो अन्याय हुआ उसका बदला अन्ना टीम व देश से लिया जा रहा है. आप अन्ना की मदद चाहें न करें लेकिन विरोध करके भ्रष्टाचार की मदद भी तो न करें. खुली बहस के बजाए आप जिनको लगता है कि यह जनलोकपाल शेखचिल्ली के ख़्वाब जैसा है उनको लेकर स्टैंडिंग कमेटी को वो मसौदा दें जो भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए कारगर हो. विरोध में लिखने से पहले आप बार-बार अन्ना टीम ने जो सुझाव मांगे थे को लेकर कारगर सुझाव शेखचिल्ली का ख़्वाब कहने वालों से दिलवाते तो देशहित में होता. लगता है आप इन्टरनेट पर गए ही नहीं.
सिरसा 23 अक्तूबर 2011.
अन्ना टीम सदस्यों पर बेतुके आरोप लगाने से पहले स्वयंभू स्वामी अग्निवेश को देश को बताए.. 
1.) स्वामी / सन्यासी चुनाव लड़े. कहां तक उचित है ?
2.) चुनाव में कितना खर्चा लगा, धन कहां से आया ? 
3.) अन्ना टीम की कोर कमेटी का सदस्य होने के बावजूद आन्दोलन को विफल करवाने की साजिश क्यों व किसके कहने पर रची ? 
4.) कश्मीर अलगाववादी नेता के सामने "अमरनाथ यात्रा" एक ढोंग है कहने का करण क्या था ? 
5.) कोर्ट में पेश होने के बजाए जमानत पाने के लिए क्यों भगोड़े हुए ?
6.) अन्ना टीम से निकाले जाने के बाद ही दोष क्यों दिखाई देने लगे, पहले क्यों चुप रहे ? 
7.) जो किया जा रहा है उसे क्या माना जाए - देशभक्ति, अनैतिकता, स्वार्थ, स्तरहीनता, लालच, इर्ष्या, औछापन/पागलपन ?
8.) किया जा रहा है के पीछे कौन है ? 
9.) जो कर रहे हो वह सन्यासी धर्म के अनुरूप है ? 
10.) वास्तव में सन्यासी को सन्यासी धर्मनुसार क्या करना / नहीं करना चाहिए ? देश हित में देश को शुद्ध जानकारी दी जाए ? 
सिरसा 22 अक्तूबर 2011.
1.) पूर्व PM श्री राजीव गाँधी ने कहा था कि केंद्र का भेजा हुआ एक रुपया आम आदमी तक जब पहुँचता है 15 पैसे रह जाता है को श्री राहुल गाँधी कई सालों से मान रहे हैं वहीं PM सहित देश के सभी राजनेता मान रहे है. लेकिन भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार द्वारा सख्त बिल लाना तो दूर, सख्त लोकपाल की मांग करने वाले अन्ना को जेल तक में भेजा जाना अपने आप में प्रमाण है कि कथनी और करनी में अंतर है. अब तो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आना के समर्थन का ढोल पीटने वाली BJP भी अन्ना को कमजोर करने के मौके की तलाश में रहती है. जाहिर है कि राजनैतिक दलों की कथनी और करनी एक नहीं है.
2.) विजय चोपड़ा साहिब, डॉ किरण बेदी पर की गई कांग्रेस नेता अल्वी की तीखी टिपण्णी क्या आप पर लागू नहीं होती ? आप भी तो दानी लोगों,संस्थाओं से खाद्य सामग्री व धनदान लेकर जरुरतमंदो व सरकार को भेजते हो. लेकिन जब सम्मानित होने का अवसर आता है तब सम्मानित कौन होता है आप जानते हैं ? क्या इसे शुद्ध रूप से नैतिक ईमानदारी के पलड़े में रखा जाना चाहिए ? शंका का समाधान आप ही कर सकते हैं. - पाठक सिरसा
सिरसा 20 अक्तूबर 2011.
1.)भ्रष्टाचार, मिलावटखोरी, चोरबाजारी, काले धन, नकली नोट, नोट के बदले वोट, 49 सालों से लटक रहे लोकपाल बिल पर कविता न लिखने वाले भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले पर कविता लिख रहे है.
2.) कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में जगह नहीं, आतंकवादियों को फांसी न दी जाए, कश्मीर का विलय वैधानिक नहीं पर कविता लिखने वाले चुप क्यों रहे ? शहीदों की विधवाओं को पेट्रोल पम्प आबंटन करने पर भी न देना, आदर्श सोसाईटी में विधवाओं को घर न देने पर अन्ना पर कविता लिखने वाले क्यों चुप रहे ? जाहिर है कविता खेल के पीछे वही है जिन्होंने अन्ना टीम के सदस्यों पर हमले करवाए. ऐसे लोगों के कारनामो के करण देश 300 सालों तक गुलाम रहा. अब देश को अंग्रेजों के बजाए कालेधन,भ्रष्टाचारियों,का गुलाम  बना रहे है.
3.)  विजय चोपड़ा जी, देशहित में जिस तरह से श्री शरद पंवार ने UPA की पोल खोली को आपके अखबार ने मात्र 50 लाइनों में छापा वहीं देश हितैषी श्री अन्ना को बदनाम करने वालों के विचारों को 64 लाइनों में छाप कर साबित कर दिया कि अखबार नहीं चाहता कि देश में सख्त लोकपाल बने. क्या समाज विरोधी लोगों का साथ देकर अखबार ने उनको सही साबित नहीं किया जो आपके पिता व भाई के कातिल थे ? कम से कम आपके अखबार से तो कोई भी यह आशा नहीं कर सकता कि यह समाज विरोधियों को महत्व देगा. चोपड़ा जी आप तो जानते ही है कि देश 300 साल तक गुलाम देशद्रोहियों के करण ही रहा ऐसे में कोई देश हितैषी अन्ना का विरोध करता है तो आश्चर्य कैसा ?     
सिरसा 19 अक्तूबर 2011.
1.) यह एक कड़वी सचाई है कि जब-जब कोई महापुरुष देश व समाजहित के रास्ते पर चला तब-तब जहाँ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा वही समाजविरोधी लोगों ने स्वामी दयानंद सरस्वती, महात्मा गाँधी की तो जान तक ले ली. फिर भी हम समाज को सभ्य ही मानते हैं और समय समय पर दुहाई यही दी जाती है कि "सभ्य समाज" ऐसा बर्दाश नहीं करेगा, नहीं कर सकता. मात्र इतना कहने से क्या समाज वास्तव में सभ्य कहलाने लायक बन जाता है ? देश के सभ्य व बुद्धिजीवी लोगों को इस पर विचार करना चाहिए.
2.) जिन चैनलों व देश हितैषियों ने 26/11 के बाद देश को आतंकवाद व भ्रष्टाचार रहित बनाने तक लगातार संगर्ष की शपथ ली थी, तथा कुछ दिन पहले भी जो लोग व चैनल "India Against Corruption" के साथ भ्रष्टाचार मिटाने हेतु जुड़े थे के लिए अपने शुभ कार्य को अब अंजाम देने का अब सुनहरा समय आ गया है. अब इन सबको देश हित में तह दिल से खुले रूप से भ्रष्टाचारियों क सबक सिखाने हेतु लग जाना चाहिए. 
3.) शांति भूषण की बर्बरता से पिटाई, केजरीवाल पर हमला व अन्ना पर हमले की चेतावनी अपने आप में एक पुख्ता प्रमाण है कि भ्रष्ट लोग अन्ना टीम को कमजोर करने की बदनीयती से टीम सदस्यों पर हमला करवा रहे है जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है. टीम अन्ना पर हुए हमलों की CBI अथवा सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में गहन जांच हो ताकि देश के सामने सच्चाई आ सके.
4.) विजय चोपड़ा जी, अन्ना टीम के करोड़ों सदस्यों में से हिसार के 2 लोगों को छोड़ने को आपके अखबार ने अपनी स्तरहीन व समाज विरोधी सोच को उजागर करते हुए इस तरह हवा दी है जैसे अन्ना टीम पर पहाड़ टूट पड़ा.
5.) अखबार पंजाब केसरी ने पाकिस्तानी PM के कश्मीर को लेकर भारत विरोधी बयान को पृष्ठ 2 पर धकेल कर देश को ऐसा संदेश देने कि घिनौनी कोशिश की है जैसे बयान का कोई महत्व ही नहीं. अखबार की इस सोच की जितनी निंदा की जाए कम है. 
सिरसा 18 अक्तूबर 2011.            
विजय चोपड़ा जी, आपके विचारनुसार आज देश न्याय प्राप्ति हेतु मीडिया की ओर देख रहा है पर लेखक "B.G. Verghese" ने अपने आज छपे लेख में लिख कर कि "जिस तरह मीडिया की सुर्ख़ियों में अविवेकपूर्ण ढंग से शेखियां भघारी जाती हैं और केवल व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा को ही ध्यान में रख जाता है, वह उचित सीमाओं का उलंघन है" चार चाँद लगाने का कार्य कर दिया. न्याय के नाम पर कृपया "पेड न्यूज़" पर एक लेख लिखे का अनुरोध है.
सिरसा 17 अक्तूबर 2011.
1.)  हिसार चुनाव पर अन्ना के श्री केजरीवाल का कहना कि "कांग्रेस की हार में योगदान है न कि किसी की जीत में" की जितनी प्रशंसा की जाए कम है मीडिया को भी इसे शुद्ध रूप में लेना चाहिए. हर बात में बाल की खाल निकालना देश हित में नहीं होता. TV चैनेलों पर बुद्धिजीवी ठीक ऐसी ही बहस कर रहे है जैसे किसी के घर "पुत्र रत्न" पर बधाई देने के साथ-साथ यह भी कहा जाए कि पता नहीं नवजात शिशु की मौत कब हो जाए. कम से कम बुद्धिजीवियों को तो नकारात्मक विचारों से नहीं चिपना चाहिए.
2.) भगवान ने ठीक समय पर श्री कुलदीप बिश्नोई का घमण्ड तोड़ कर आगे से घमण्ड न करने की चेतावनी देकर एक बड़ी कृपा की. जैसे-जैसे जीत के वोटों की संख्या बढती गई वैसे-वैसे श्री कुलदीप का घमण्ड बभी बढता गया. घमण्ड इतना बढ़ा कि जीत में अन्ना फैक्टर को नकारना शुरू कर दिया. जिसका सबक प्रकृति ने हाथों हाथ दे दिया. कुलदीप को अब से ही अगर सफल होना है तो हवा में उड़ने कि बजाए जमीन पर चलने की आदत डाल लेनी चाहिए.  
3.) विजय चोपड़ा जी आपने लेख में आपने लिखा कि "एक ओर सरकार स्वयं ही महंगाई बड़ा रही है दूसरी ओर इस पर चिंता जताते हुए बैठकें करती है तो जनता की समझ से बाहर है". लेकिन आपने स्वयं ही अपने धारदार लेख की धार को शुरूआती लाइन "सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद महंगाई थमने का संकेत नहीं " लिख कर कुंद कर दिया भी जनता की समझ से बाहर है. क्योंकि एक साँस में आप सरकार का गुणगान करते है वहीं दूसरी साँस में सरकार को कटघरे में खड़ा करते हैं. जिसे "without fear without fever" वाली पत्रकारिता के अनुरूप नहीं कहा जा सकता.
सिरसा 16 अक्तूबर 2011.
1.) प्रभारी IBN-7, कहावत "गुड़ गोबर करना" पूर्णरूप से कार्यक्रम "मुद्दा" पर एंकर की बेजां दखल से लागू होती है. लेकिन दिनांक 15 अक्तूबर को महिला एंकर ने "गोबर" को भी बिगाड़ कर रख दिया. कृपया एक को हटा लीजिये"कार्यक्रम को या बेजां दखल को". - दर्शक सिरसा (हरियाणा)  
2.) विजय चोपड़ा साहिब, कुछ दिन पहले आपने मीडिया पूर्ण ईमानदारी व लगन से देश की सेवा कर रहा है का ढोल पिटते हुए आपने कहा कि आज देश न्याय प्राप्ति के लिए न्यायालय के साथ-साथ मीडिया की ओर देख रहा है. हम तो उस वक्त भी आपकी सत्य रहित घोषणा से सहमत नहीं थे. आपकी घोषणा कितनी सत्य थी का प्रमाण "सतना" के तथा कथित ईमानदार पत्रकारों ने 500-500 व 1000-1000 के नोट लेकर जहाँ "चार चाँद" लगाए वहीं आपके अखबार में न्यायप्रिय लेखक M.J. अकबर के लेख ने तो आपको व पूरे मीडिया जगत को दर्पण ही दिखा दिया. फैसला आप पर छोड़ा जाता है कि "वाह-वही व लानत" का पात्र कौन है ? 
3.) माननीय कल्याणी शंकर जी, आपका बे सिर-पैर वाला लेख "टीम अन्ना का राजनैतिक चेहरा सामने आने लगा" पढ़ा. आपके इस लेख पर कहावत "मुर्दा बोले कफ़न फाड़े" पूरी तरह से लागू होती है.  
सिरसा 15 अक्तूबर 2011.
सेवा में, श्री मोहन भगवत जी, सर संघ संचालक, नागपुर. मान्यवर, बड़े ही दुःख के साथ आपको लिख रहे हैं कि एक ओर दिग्गी राजा संघ को लेकर अन्ना को बदनाम कर रहा है. वहीं संघ आए दिन बयान देकर कांग्रेस को खुश करने के लिए अन्ना व देश की आम जनता के लिए मुसीबत बढ़ा रहा है. वास्तव में घिनौना व निंदनीय है. 
2.) वास्तव में संघ भ्रष्टाचार का विरोधी है तो इसकी याद अन्ना अनशन के बाद क्यों आई ? पहले क्यों सोया रहा ? BJP राज्यों में हो रहे भ्रष्टाचार का विरोध क्यों नहीं किया ? क्यों BJP राज्यों में सख्त लोकायुक्त नहीं बनाया गया ?
3.) भ्रष्ट सुखराम का पहले विरोध किया गया ओर मौका मिलते ही उसके साथ मिलकर सरकार बना ली. 
4.) पंजाब उग्रवाद को लेकर श्री अटल जी बार-बार कहते थे "जब तक पंजाब में बादल है तब तक उग्रवाद रहेगा" मौका मिला बादल के साथ सरकार बना ली. आज पंजाब में BJP किसके साथ है ? हम आपसे देशहित में प्रार्थना करते हैं, कृपया देश व समाज पर  इस प्रकार के बयानों को न देकर रहम कीजिये.
5.) भागवत जी, क्या यह घिनौना नाटक नहीं है कि एक ओर अन्ना समर्थन के बयान दिए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर BJP नेता श्री बलबीर पुंज अखबार में छपने वाले लेख में आदरणीय अन्ना को बदनाम करने की मंशा को लेकर उन पर शब्द रूपी कीचड़ फेंक रहा है. ऐसा क्यों व किसके इशारे पर किया जा रहा है ? ऐसी घिनौनी सोच के पीछे कौन है - "संघ, BJP या कांग्रेस" ?                 - आदर सहित 
सिरसा 14 अक्तूबर 2011.
राजनैतिक पार्टी घर की, घर का अखबार जिसमे जैसा चाहो लिखो जिस पर चाहो कीचड़ फेंको. लेकिन ठाकरे साहिब मात्र ऐसा करने से कोई देश भगत बहादुर नहीं बन जाता. प्रशांत भूषण पर तो आपने अपनी भड़ास निकाल ली लेकिन अगर आप वास्तव में बहादुर या देश भगत हैं तो अपने बहादुर बेटे व इस गुंडा टोल को लेकर उन लोगों के घर क्यों नहीं गए जिन्होंने आतंकियों को फांसी न देने की मांग की ? कश्मीर के अलगाववादियों के घर क्यों नहीं गए ? कहावत है कि मात्र नाख़ून कटवाने से कोई शहीद नहीं हो जाता. ठीक ऐसे ही घर के अखबार में लिखने मात्र से कोई देश भगत व बहादुर नहीं हो सकता. देश जानता है कि अपने अन्ना पर (जिनके भ्रष्टाचार विरोधी संघर्ष से सभी स्वार्थी लोग तिलमिला रहे हैं) प्रहार करने की स्तरहीन सोच के आधीन होकर लिखा है. जो वास्तव में निंदनीय है.  

Thursday, October 13, 2011

शायद यही वजह है कि दिग्गी राजा साहिब एक कद्दावर नेता होने के बावजूद पिछले कई महीनों से साधारण कार्यकर्त्ता वाले कार्य में लगे हुए हैं...........


सिरसा 14 अक्तूबर 2011.
1.) देश स्पष्ट देख रहा है कि सरकार को भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले अन्ना के साथ-साथ उनके शांतिप्रिय समर्थक भी फूटी आँख नहीं सुहाते.
2.) श्री दिग्विजय सिंह जी का देश व टीम अन्ना को आभारी होना चाहिए क्योंकि अन्ना पर लगातार प्रहार करके परोक्ष रूप से ये मान रहे है कि कांगेस को भ्रष्टाचार का विरोध व विरोधी मंजूर नहीं है. इस शुभ कार्य के लिए दिग्गी राजा की जितनी तारीफ़ की जाए कम है. अगर वास्तव में ऐसा नहीं है तो देश हितैषी अन्ना जो भ्रष्टाचार रोधी सख्त लोकपाल चाहते हैं को बादनाम करने के बजाए समर्थन क्यों नहीं दिया जाता ?
3.) श्री प्रशांत भूषण पर जानलेवा हमला साधारण नहीं है. इसके पीछे बड़ी साजिश के होने को नाकारा नहीं जा सकता. यह एक बड़े स्तर की जांच का विषय है.
4.) आपार शक्तिशाली प्रकृति "रंक को राजा व राजा को रंक" बना सकती/देती है. राजनीति में कभी राजा माने जाने वाले ठाकुर अमर सिंह की आज जो हालत है देश देख रहा है. लगता है प्रकृति ठाकुर दिग्गी राजा जो राजनीति में राजा ही है से कोई हिसाब लेना चाहती है शायद यही वजह है कि दिग्गी राजा साहिब एक कद्दावर नेता होने के बावजूद पिछले कई महीनों से साधारण कार्यकर्त्ता वाले कार्य में लगे हुए हैं.

Tuesday, October 11, 2011

अन्ना को कांग्रेस नेता श्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस विरोधी लोगों से घिरा हुआ लिख रहे है. जबकि अखबार में लेख लिखने वाले बुद्धिजीवी समय-समय पर अपने लेख में लिखते हैं कि


सिरसा 12 अक्तूबर 2011.
1.) अन्ना को कांग्रेस नेता श्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस विरोधी लोगों से घिरा हुआ लिख रहे है. जबकि अखबार में लेख लिखने वाले बुद्धिजीवी समय-समय पर अपने लेख में लिखते हैं कि PM कुछ कांग्रेस विरोधी लोगों से घिरे हुए हैं. कांग्रेस नेता को अखबार में छपे लेखों को पढ़ कर निर्णय लेने की देश व पार्टी हित हेतु आदत डालनी चाहिए. अँधेरे में तीर चलने से स्वयं नेता जी के साथ-साथ पार्टी व सरकार की छवि धूमिल ही होगी. 2.) विजय चोपड़ा जी, आपके अखबार ने अन्ना को लिखे PM के पत्र के देश हितैषी मुद्दों को अनदेखा करके मात्र 9 लाइनों में छापा, वहीं दिग्विजय सिंह के बेकार पत्र को PM से अधिक महत्व देते हुए 50 लाइनों में छापा. जाहिर है कि अखबार का देशहित से कोई लेना देना नहीं है की जितनी निंदा की जाए कम है.

कांग्रेस के नेता श्री B.K. प्रसाद कहते हैं कि अन्ना को भ्रष्ट लोगों ने घेर रखा है. अन्ना कहते है कि सख्त लोकपाल बनाओ भ्रष्ट लोगों को जेल भिजवाओ.


सिरसा 11 अक्तूबर 2011.
1.) कांग्रेस के नेता श्री B.K. प्रसाद कहते हैं कि अन्ना को भ्रष्ट लोगों ने घेर रखा है. अन्ना कहते है कि सख्त लोकपाल बनाओ भ्रष्ट लोगों को जेल भिजवाओ. कांग्रेस सख्त लोकपाल बना कर जिन भ्रष्ट लोगों  ने अन्ना को घेर रखा है उनको जेल भिजवाने से क्यों गुरेज़ कर रही है ? दाल काली है. 
2.) लगता है हिसार चुनाव में कांग्रेस ने अपनी हार मतदान से पहले मान ली है. इसलिए तो कांग्रेस के वरिष्ठ व कद्दावर नेता श्री दिग्विजय सिंह ने पहले ही कह दिया था कि चुनाव "राष्ट्रिय महत्व" का नहीं है. अब कांग्रेस ने इस चुनाव में दिल्ली, राजस्थान के CM, UP, के एक सांसद व केन्द्रीय मंत्री को बुला कर प्रमाणित कर दिया कि चुनाव नहीं जीता जा सकता. अजीब विडंबना है कि अपने प्रदेश में जो CM अपराधों को नहीं रोक सके वे हिसार चुनाव में कांग्रेस की नैया पार लगाएंगे ? इसके साथ-साथ CM हरियाणा का अपनी विरोधी केंद्रीय मंत्री को बुलाना भी एक प्रमाण है कि कांग्रेस हार मान चुकी है.   
3.) आदरणीय करण थापर साहब, आपने अपने लेख में अन्ना सचेत नहीं है का निर्णय लेते हुए लिखा है कि "अब उनका भविष्य चंचल-चपल पत्रकारों के रहमो करम पर हैयदि वे उनके पक्ष में रहे तो सब ठीक-ठाक रहेगा परन्तु यदि विपरीत चले गए तो....?". आपने तो पत्रकारों का असली चेहरा देश के सामने रख दिया जिसके लिए बहुत-बाह्यत बधाई. आपके लेख ने मीडिया पर लगे आरोप जैसे "मीडिया भ्रष्ट, बिकाऊ, बेईमान, बेशर्म, दलाल, लालची, आदि-आदि" जिसे मीडिया के ईमानदार लोग बहुत पहले स्वीकार कर चुके है पर अपनी स्वीकृति की मोहर लगा दी. जिसके लिए आपकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है.   
सिरसा 10 अक्तूबर 2011.
भारत में सबसे ज्यादा आलोचना देश हित में क्रिया करने वालों की होती है. गाँधी जी का कतल व भगत सिंह को फांसी कैसे हुई दुनिया जानती है. आज भी ऐसे लोग हैं जो चाहते हैं आतंकियों को फांसी न हो व सख्त लोकपाल न बने. स्पष्ट है कि देश को तबाह करने वालों का साथ व देश का हित चाहने वालों का विरोध करने वालों की भी कमी नहीं है. यही वजह है कि आज़ादी से पहले देश अंग्रेजों का गुलाम था वह आज भ्रष्टाचार का गुलाम है. इस घिनौने कार्य में हर वर्ग के लोग हैं. देश हितैषी अन्ना जी के साथ जो किया जा रहा है को तो देश देख ही रहा है. सबसे बड़ी ख़ुशी की बात है कि जीत अच्छे लोगों की ही होती है. इसीलिए तो कहा जाता है"अच्छों का बोलबाला-बुरों का मुंह काला".  
सिरसा 09 अक्तूबर 2011.
आखिर कांग्रेस ने जैसी देश को उम्मीद थी हिसार चुनाव में अन्ना टीम से हाथा-पाई करके वैसा ही अपनी परम्परानुसार किया. लोकतंत्र का बात में ढोल पीटने वाली कांग्रेस समय-समय पर अपना असली चेहरा दिखा ही देती है. जब-जब कांग्रेस ने अपनी कथनी के विपरीत किया तब-तब कांग्रेस को उसका पूरा-पूरा खामियाजा भुगतना पड़ा. वास्तव में देश भी यही चाहता है कि कांग्रेस वही करे जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग उसके विरोधी हो जाए और हिसार चुनाव में कांग्रेस ने ठीक वैसा ही किया. यानी अन्ना टीम के साथ धक्का-मुक्की करके कौन खोद लिया. जिसका पता कांग्रेस को चुनाव नतीजे आने पर ही चलेगा तब तक तो बहुत देर हो चुकी होगी. और देश भी ऐसा ही चाहता है. 

Tuesday, October 4, 2011

अन्ना की प्रेस वार्ता के बाद कांग्रेस में कितनी बेचैनी हुई वह उसकी ओर से आई प्रतिक्रिया से अपने आप स्पष्ट हो गई.


सिरसा 05 अक्तूबर 2011.
1.) अन्ना की प्रेस वार्ता के बाद कांग्रेस में कितनी बेचैनी हुई वह उसकी ओर से आई प्रतिक्रिया से अपने आप स्पष्ट हो गई. वहीं कांग्रेस की प्रतिक्रिया से यह भी लगा कि कांग्रेस न ही तो सख्त जनलोकपाल चाहती है तथा न ही उसने अपनी गलतियों से सबक लिया. फैसला अब भी देश की जनता ने ही लेना है.
2.) योजनाआयोगनुसार बड़े शहर में 32 व गाँव में 26 रूपये रोज खर्च करने वाले गरीब नहीं है. जिसके लिए योजनाआयोग के उपाध्यक्ष को न सिर्फ श्री राहुल गाँधी से डांट खानी पड़ी, बल्कि राष्ट्रिय सलाहकार परिषद् के सदस्यों ने तो त्यागपत्र तक मांग लिया. दूसरी ओर शहरों में करोड़ों अरबों खर्च करके बड़े-बड़े अस्पताल बना कर करोड़ों अरबों कमाते हैं को सरकार बेहद कम कीमत पर न सिर्फ जमीन देती है बल्कि "अखबार पंजाब केसरी" में छपे लेखनुसार साल 2011-12 में 1.74 लाख करोड़ की कस्टम ड्यूटी में छूट दे रही है. ऐसा क्यों ? इस तरह की या किसी दूसरी तरह की छूट कब से दी जा रही है व कितनी दी गई देश को सरकार अवगत करवाए. जिस तरह आए दिन नए-नए घोटाले देश के सामने आ रहे हैं से शंका होती है कि इन छूट के रूप में परदे के पीछे हो सकता है कोई घोटाला किया गया है. समय की मांग है कि इस मामले कि जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा करवाई जाए.
3.) विजय चोपड़ा जी आपने दिल्ली के उन 37 अस्पतालों बारे लिखा जिनको सरकार ने गरीबों का मुफ्त इलाज करने कि शर्त पर (जिसक पालन सभी नहीं कर रहे) बेहद कम कीमत पर जमीन दी. सरकार इनके विरुद्ध कारवाई करने के बजाए आपके लेखनुसार इन अस्पतालों को वर्ष 2011-12 के दौरान1.74 लाख करोड़ की कस्टम ड्यूटी में छूट देने जा रही है. इस छूट से पहले भी छुट दी होगी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. आपके लेखनुसार तो सिर्फ 2 छूट ही सामने आई है. इन 2 के अतिरिक्त कोई और छूट (किसी और रूप में दी गई) से इनकार नहीं किया जा सकता है. वास्तव में यह एक गहन जाँच का मामला है जो सुप्रीम कोर्ट की देख रेख में ही होनी चाहिए. आप पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री के साथ-साथ देश के स्वास्थ्य मंत्री का भी ध्यान दिलवा देते तो अच्छा होता. मीडिया अपने स्तर पर इस देश हितैषी मामले की जांच करके देश को सत्य से अवगत करवाए का अनुरोध किया जाता है. 
4.) देश के रक्षामंत्री तालिबान को वहीं गृहमंत्री जी आतंक के बजाए नक्सलवाद को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा मान रहे हैं. लेकिन इनसे अलग अखबार पंजाब केसरी के E.I.C. श्री विजय चोपड़ा देश को तबाह करने के लिए चीन को सबसे बड़ा खतरा मान रहे हैं. देश का मानना है कि वास्तव में सबसे बड़ा खतरा राजनीतिज्ञों की भ्रष्टाचार,आतंकवाद, कालाधन, नक्सलवाद, मिलावटवाद, महंगाई आदि-आदि से निपटने की इच्छा शक्ति का ना होना है. सरकार चिंतित है बयान देकर काम चलाना चाहती है, जबकि दुनिया जानती है कि भ्रष्टाचार पर नकेल चिंता नहीं जनलोकपाल डालेगा. 
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सिरसा 02 अक्तूबर 2011.
1.) देश हितैषी अन्ना को घर से गिरफ्तार किया, फिर जेल भेज दिया. बाबा रामदेव प्रकरण में सोए हुए लोगों (बच्चे, महिलाएं, व बुजुर्गों) को बेरहमी से पीटना को लेकर कांग्रेस व सरकार ने कहा कि इसके अतिरिक्त सरकार के पास कोई विकल्प नहीं था. जो किया पुलिस ने किया सरकार का इसमें कोई हाथ नहीं है. आज वही सरकार व कांग्रेस नेता गुजरात के एक IPS की गिरफ्तारी को लेकर कह रहे है कि यह मोदी की तानाशाही है, मोदी फासिस्ट है आदि-आदि. इससे तो यह अपने आप साबित हो जाता है कि दिल्ली में जो अत्याचार हुआ वह कांग्रेस व सरकार ने ही करवाया था. कांग्रेस व सरकार दोहरा मापदंड क्यों अपना रही है ?
2.) माननीय विजय चोपड़ा जी, आपके अखबार "पंजाब केसरी" को आज देखा तो लगा कि यह अखबार है या "इश्तियार". अखबार में छपे विज्ञापन से तो ऐसा स्पष्ट आभास हर किसी को हो सकता है. जाहिर है ख़बरों के बजाए अधिक से अधिक धन बटोरने के लालचाधीन यह सब कुछ हो रहा है. जिसमे पाठकों की जेब को समय-समय पर कीमत में वृद्धि करके बड़ी सावधानी से लूटा जाना शामिल है. यह हालत उस अखबार की है जिसका E.I.C. देश दुनिया को समय-समय पर उपदेश देने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ता. अखबार की इस धन बटोरने की नीति का हम निंदा व विरोध करते हुए मांग करते हैं कि पाठकों के साथ ज्यादा ख़बर देकर न्याय किया जाए. 
सिरसा 01 अक्तूबर 2011.
1.) श्री विजय चोपड़ा जी, "BJP में अंतर्कलह" शीर्षकाधीन जो छापा गया वह केवल मात्र मीडिया की सोच है. कार्यकारिणी की सभा में पार्टी ने प्रथम दिन क्या-क्या निर्णय लिए बारे आपका अखबार चुप क्यों  है ? क्या यह अखबार का अंतर्कलह है ? लगता है आपका अखबार भी अंतर्कलह से पीड़ित है. हो सकता है आपको भी देश के PM की तरह कुछ जानकारी न हो व इस बारे किसी ने आपको कुछ बताया भी नहीं होगा. कुछ भी हो ख़बर के प्रति आपके अखबार का नीरस रवैया निंदा योग्य है. 
2.) श्रीमान पुंज साहब, "वोट के बदले नोट" मामले में आपके सांसद जेल में पड़े रो रहे हैं, आपकी पार्टी की हालत तो ऐसी है जैसे"जूतों में दाल बंट रही है" को अनदेखा करके आपने समाजहितैषी अन्ना को बदनाम करने की घिनौनी मंशा को लेकर जो कुछ लिखा की जितनी निंदा की जाए कम है. शीशे के घर में रहने वाले को उन पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए जो किल्ले में रहते हो. 
सिरसा 30 सितम्बर 2011.
माननीय विजय चोपड़ा जी, देश जानता है कि टैक्स ज्यादा या कम करने का अधिकार वित्त मंत्री का है न कि गृह मंत्री का. लेकिन फिर भी जैसे ही गृह मंत्री ने बड़े लोगों पर टैक्स बढाने का विचार प्रकट किया आप उसको सहन नहीं कर पाए और सरकार को चेतावनी तक दे डाली कि "अगर बड़े लोगों पर टैक्स बढाया तो ऐसे में टैक्स चोरी में वृद्धि होगी, काले धन की समस्या बढेगी, जिसने पहले ही सरकार की नाक में दम कर रखा है." मिसाल अमेरिका के देश हितैषी व दानी वारेन बफे की दी जा रही है, वही लेख सरकार को चेतावनी देते हुए "काले धन धारकों" की मदद में उस समय लिख रहे हो जब देश के 80% लोगों की आमदनी 20 रूपये से भी कम है. कुछ लोग आतंकियों को फांसी देने का विरोध करके उनका साथ दे रहे है, वैसे ही आप टैक्स को लेकर कालाधन धारकों (आर्थिक आतंकियों) का साथ दे रहे हो. आपके इस गरीब विरोधी लेख की जितनी निंदा की जाए कम है.निंदा सहित,

Thursday, September 29, 2011

माननीय बलबीर पुंज जी , उस BJP के कितने रूप हैं जो देश के सामने अन्ना का खुला समर्थन करती है व दूसरी और आप जैसे लोगों को पूज्य अन्ना पर कीचड़ फेंकने की छूट दे रही है ?


सिरसा 30 सितम्बर 2011.
माननीय बलबीर पुंज जी "कांग्रेस की नैतिकता के दो रूप" को आधार बना कर जिस तरह से देश हितैषी आदरणीय व महान अन्ना पर कीचड़ फेंकने की आपकी घिनौनी कौशिश की जितनी निंदा की जाए, लानत भेजी जाए कम है. उस BJP के कितने रूप हैं जो देश के सामने अन्ना का खुला समर्थन करती है व दूसरी और आप जैसे लोगों को पूज्य अन्ना पर कीचड़ फेंकने की छूट दे रही है ? लिखने से पहले अपने गिरेबान में तो झाँक लेते. देश BJP के कितने रूप हैं को जानता है, देख चुका है तथा देख रहा है. बातों से काम नहीं चलेगा सत्य को अपनाना सीखो. अन्ना क्या है BJP के वरिष्ठ नेता श्री शांताकुमार जी से पूछो जो सब कुछ छोड़ कर अन्ना टीम में शामिल होना चाहते हैं.लानत व निंदा सहित , पाठक सिरसा (9255566012)                                                                                               
सिरसा 29 सितम्बर 2011.
देश को सबसे बड़ा खतरा राजनैतिक पार्टियों की उस सोच से है जिसे देशहित को अनदेखा करके सत्ता पक्ष हर तरह से सत्ता में बना रहना व विपक्ष हर तरह से  सत्ता पाना चाहता हो.

Wednesday, September 28, 2011

देश को बताया जाए कि इस पत्र के बारे RTI कार्यकर्ता को किसने जानकारी दी कि पत्र के रूप में PMO में एक घोटाला पड़ा है जानकारी मांगो व धमका कर


सिरसा 28 सितम्बर 2011.
अजीब विडंबना है कि देश के कानून मंत्री कह रहे हैं कि वित्त मंत्रालय से PMO को भेजा गया पत्र बड़ा मुद्दा नहीं है क्योंकि इसे कनिष्ठ अधिकारियों ने भेजा था. लेकिन देश जानना चाहता है कि पत्र भेजने का वास्तविक कारण क्या था ? क्या कनिष्ठ अधिकारियों को खुली छुट है कि वो जब चाहें जो चाहें लिखें और PMO को "इसे वित्त मंत्री जी ने देख लिया है" भेज दे. देश जानना चाहता  है कि सब कनिष्ठ ही सब करते है तो वरिष्ठों का बोझ देश पर क्यों ? अगर दोष अधिकारियों का है तो उनके विरुद्ध कारवाई क्यों नहीं की गई ? विचित्र बात तो यह है कि पत्र 3 साल बाद क्यों लिखा गया ? PMO इस पत्र पर क्यों 6 महीने चुप रहा ? यही नहीं देश को बताया जाए कि इस पत्र के बारे RTI कार्यकर्ता को किसने जानकारी दी कि पत्र के रूप में PMO में एक घोटाला पड़ा है जानकारी मांगो व धमका कर दो. वास्तव में यह मामला अकेले गृह मंत्री के बजाए सामूहिक जिम्मेदारी का है. 
सिरसा 26 सितम्बर 2011.
काले धन पर SIT गठन बारे में जजों के वैचारिक मतभेद से अपने आप ही सरकार को वह मिल गया जो सरकार चाहती थी. तथा देश अपने आप ही उस लाभ से वंचित रह गया जिस लाभ की उसे उम्मीद थी.
सिरसा 24 सितम्बर 2011.
BJP के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व CM हिमाचल प्रदेश श्री शांता कुमार जी के विचार की राजनीति छोड़ कर भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन हेतु टीम अन्ना में शामिल हो जाना अति उत्तम, पवित्र व समाज देश हितैषी है. जिनकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है. इन पवित्र विचारों को तुरन्त समय खोए बिना अपने जीवन में लागू कर लेना चाहिए. आज देश/समाज को शांताकुमार जी जैसे महापुरुषों की जरुरत है.
सिरसा 23 सितम्बर 2011.
2G घोटाले में गृह मंत्री P. चिदम्बरम का नाम आने से इतना तो सशक्त रूप से प्रमाणित हो गया कि "प्रकृति" की चक्की चलती तो धीरे है लेकिन पीसती महीन है. देखते हैं अब गृह मंत्री के बाद किस मगरमच्छ का नम्बर आता है.
सिरसा 22 सितम्बर 2011.
1.) 2G मामले में कांग्रेस व सरकार गृह मंत्री को ठीक A राजा की तरह बचने की कोशिश कर रही है. लेकिन जो हुआ देश दुनिया के सामने है.
2.) विचित्र विडम्बना है कांग्रेस व सरकार प्रथम दृष्टि में में दूध का दूध व पानी के बजाए घोटले को दबा कर ज्यों-ज्यों अपनी छवि सुधारने की कोशिश करती है छवि और अधिक धूमिल होती है. अगर सरकार अपनी छवि सुधारना चाहती है तो सरकार को देशहित हेतु न्याय का रास्ता अपनाना चाहिए.
सिरसा 21 सितम्बर 2011.
1.) रामविलास पासवान की LJP ने "लोकपाल संस्था" को अधिकार देने पर यह एक "आतंकवादी संगठन" बन जाएगी कह कर प्रमाणित कर दिया कि LJP राजनैतिक तौर पर दिवालिया व यतीम होने के साथ-साथ मानसिक तौर पर भी दिवालिया व यतीम है. ऐसा कह कर पार्टी नेताओं ने अपने पाप कर्मों के डर को देश के सामने रख दिया. पिछले चुनाव में बिहार की जनता ने इस पार्टी को कोने में लगाया उसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है.        
2.) कांग्रेस का छोटा नेता हो चाहे बड़ा, सभी पूरे देश में भ्रष्टाचार के विरोध में खुल कर बोलते हैं. लेकिन जब देश हित में आदरणीय अन्ना ने जन लोकपाल  की आवाज उठाई तब सबने एक ही बोली बोली " यह लोक्क्तंत्र के लिए खतरा है, अवैध है, अब इसका समय नहीं है " अन्ना को घर से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. कुछ ऐसा ही BJP कर रही है. भ्रष्टाचार के विरुद्ध खूब बोलती है लेकिन जिन प्रदेशों में BJP का राज है वहन अन्ना के मसौदेनुसार लोकायुक्त नहीं बनाए जा रहे.
3.) IBN-7 के राजदीप सरदेसाई ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर को : गुणी व विद्वान बता कर साबित कर दिया कि जिस IBN-7 ने IPL को लेकर जो प्रचार शशि थरूर के विरुद्ध किया जिसके कारण उन्हें मंत्री पद त्यागना पड़ा वो न सिर्फ गलत था बल्कि इस चैनल में किसी के गुणों को देखने परखने की आँखे / अक्ल नहीं है.

Sunday, September 18, 2011


सिरसा 19 सितम्बर 2011.
देश हितैषी आदरणीय अन्ना से खिलवाड़ करने वालों को उपवास करने वाले मोदी व भगेला से समय रहते सबक ले लेना चाहिए कि यह जनता ही है जिसने एक को सत्ता दी वह AC में उपवास कर रहा है. दुसरे से सत्ता छीन कर फुटपाथ पर भेज दिया. वह फुटपाथ पर उपवास को सहारा बनाकर रो रहा है. इस बेचारे को तो पार्टी भी अनदेखा कर रही है. पूर्व CM भगेला हमदर्दी का पात्र बन गया. जो जैसा बोता है वो ही कटता है. भगवान इस पर दया करे.   
सिरसा 18 सितम्बर 2011.
1.) श्री भगेला पूर्व CM गुजरात 3 दिनों के उपवास पर बैठे हैं और कह रहे हैं की कांग्रेस का इस उपवास से कोई लेना-देना नहीं. कांग्रेस डर क्यों रहीं है ?  
2.) "हमारा तो काम ही पगड़ी उछालना है" कहने वाले JDU नेता शरद यादव ने CM मोदी के उपवास को लेकर देश के गरीब लोगों का मजाक यह कह कर उड़ाया कि 80% लोग "भूखे" रह कर रोजाना उपवास करते हैं. लोगों की पगड़ी उछालने वाला देश को बताए कि इन 80% भूखे लोगों में बिहार राज्य के लोग है या नहीं ? अगर है तो यह इस नेता के लिए डूब मारने वाली बात है. क्योंकि बिहार में इनकी पार्टी का ही शासन है.
3.) भ्रष्टाचाररोधी देश हित में जब आदरणीय अन्ना ने अनशन किया तब कांग्रेस व PM सहित मंत्रियों ने उसे लोकतंत्र के लिए खतरा व अवैध बताया. लेकिन आज गुजरात के पूर्व कांग्रेसी CM अनशन देशहित के बजाए "सद्भावना" के विरोध में कर रहे है जो वास्तव में समाज व लोकतन्त्र के हित में नहीं है में भी कांग्रेस व सरकार को अच्छाई दिखाई दे रही है. देश सब देख रहा है. 

Saturday, September 17, 2011


सिरसा 17 सितम्बर 2011.
1.) यह समय का अनोखा चक्र ही तो है कि अन्ना नाम के जिस महापुरुष व उनकी टीम पर कांग्रेस नेताओं/मंत्रियों ने अनेक स्तरहीन आरोप लगाए आज वही कांग्रेस गुजरात CM के 3 दिनों के उपवास के जवाब में 3 दिनों का न सिर्फ उपवास कर रही है बल्कि राजनैतिक ब्र्त्रनी पार करने की मंशा से उसी अन्ना नामक महापुरुष के बयान का सहारा ले रही है. इसे किसका मुखौटा  कहा जाए ? अजीब विडम्बना है एक तरफ कांग्रेस नेता उपवास पर है, वहीं गुजरात विधान सभा के नेता विपक्ष व कांग्रेस नेता उपवास पर कटाक्ष करते हैं कि क्या उपवास करने से आतंकी कसाब के पाप कट सकते हैं ? CM मोदी पर किया गया कटाक्ष क्या कांग्रेस खुद पर लागू नहीं होता ? 
2.) PM कहते हैं "देश की सुरक्षा की स्थिति अनिश्चित है". घोटाले हुए तब कहा गया "हमारी मज़बूरी है." पेट्रोल कीमत बढ़ी तो मंत्री व कांग्रेस नेता कहते है "हमे चिंता है" अगर चिंता से महंगाई कम हो जाए तो कांग्रेस से कहीं ज्यादा चिंता तो देश के उन 80% लोगों को है जिनकी दैनिक आमदनी 20 रूपये से भी कम है. चिंता से महंगाई नहीं, चिंता से चतुराई,गरिमा और ज्ञान (दिमाग) घटता है. देश तो यह सोच कर दुखी है कि 2014 आने में समय बहुत है. कोई बात नहीं 2012 तो जल्दी आएगा. 
सिरसा 16 सितम्बर 2011.
1.) सरकार पहले MLA, MP, मंत्रियों की तनख्वाह व दुसरे लाभों को बढाती है फिर पेट्रोल की कीमत. ताकि देश वासियों की गाडी कमाई पर ऐश करने वालों को कोई परेशानी न होने पाए.लगता है लोकतंत्र को मजबूत करने का सरकार के पास यही सरल व सुगम उपाय है. क्योंकि अन्ना के भ्रष्टाचार रोधी शांतिपूर्ण आन्दोलन को तो सरकार लोकतंत्र के लिए खतरा बता ही चुकी है.   
2.) वोट के बदले नोट काण्ड के आरोपी अमर सिंह की नजदीकी मित्र एवं सांसद जयप्रदा ने कहा है कि अगर श्री अमर सिंह ने मुंह खोल दिया तो बहुत से बड़े-बड़े लोग मुसीबत में फंस जाएंगे. विपक्ष के साथ-साथ खबरिया चैनलों का इतनी बड़ी बात को महत्व न देना आश्चर्यजनक है. 
3.) विजय चोपड़ा साहिब, अजीब विडम्बना है आप अमेरिका को उसके गलत आंकलन बारे समझा रहे हैं वहीं आपका अखबार"अधूरी/अशुद्ध" खबर दे रहा है. ( देखे पेज न. 2 पर छपी ख़बरें ) (i) "बम धमाके सरकार पर धब्बा : चिदंबरम" :- ख़बर E मीडिया के हवाले से दी गई है लेकिन E-मीडिया ने तो ख़बर में गृह मंत्री व गृह मंत्रालय का नाम लिया था. एक मंत्री अपनी या अपने मंत्रालय की गलती को सरकार की गलती है कैसे कह सकता है ? अगर ऐसा होता तो क्या आज राजा के साथ पूरी सरकार जेल में नहीं होती ? (ii)ख़बर में श्री चिदम्बरम को सह अभियुक्त बनाने की याचिका दायर हुई बताया गया है. जबकि E-मीडिया अनुसार याचिका स्वीकार कर ली गई. सुनवाई 26 सितंबर को होगी. चोपड़ा जी अखबार की गरिमा शुद्ध व पूरी ख़बर छापने से होगी न कि राखी सावंत की स्तरहीन मंशा को प्रथम पृष्ठ पर छापने से.      
सिरसा 15 सितम्बर 2011.
1.) भ्रष्टाचार मुद्दे में साख धूमिल करवाने के बाद अब भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने हेतु सरकार जो कर रही है वह " ऊंट के मुंह में जीरा " जैसा ही है. अगर सरकार देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना चाहती है तो अध्यादेश के जरिये " जनलोकपाल " लाए. जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा व सरकार की छवि भी सुधरेगी. 
2.) यह विडंबना ही है कि अन्ना आन्दोलन के चलते BJP की गरिमा में तो गजब की बढोतरी हुई लेकिन उसकी तन्द्रा नहीं टूटी. जिसके चलते छवि पल-पल धूमिल होती जा रही है. कांग्रेस और बीजेपी की भ्रष्टाचार पर एक ही सोच है कि बयान के अतिरिक्त करना कुछ ना पड़े. कहने को तो BJP भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए अन्ना के साथ है लेकिन लोकायुक्त बनाने में कांग्रेस का ही साथ दे रही है. यानी दोनों की कथनी करनी " हाथी के दांतों " जैसी है. 

Wednesday, September 14, 2011


सिरसा 14 सितम्बर 2011.
1.) अजीब विडंबना है देश हित में अन्ना के शांतिपूर्ण आन्दोलन को कांग्रेस मंत्रियों व पार्टी ने अवैध/लोकतंत्र के लिए घातक बताया. लेकिन जो आतंकियों को फांसी न हो की मांग कर रहे हैं या जैसे PM ने CM दिल्ली को शहीद भगत सिंह को फांसी देने वाले मुख्य गवाह शोभा सिंह को सम्मानित करने हेतु पत्र लिखा व देश के गृहमंत्री कह रहे हैं की " आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक नक्सलवाद है ". क्या यह सब वैध है और वास्तव में इनसे लोकतंत्र को कोई खतरा नहीं है ? टीम अन्ना पर बार-बार प्रहार करने वाले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह क्या उपरोक्त बारे देश को अवगत करवाने का कष्ट करंगे ऐसा देश चाहता है.
2.) विजय चोपड़ा जी आपके अखबार में पेज 1 पर छपी ख़बर " आडवाणी की रथ यात्रा पाखण्ड : हजारे " शुद्ध नहीं है. यह ख़बर तोड़ मरोड़ कर छपी गई है जो वास्तव में भ्रमित करने वाली है. आदरणीय अन्ना ने अपने तीनो इंटरव्यूस में मंत्रियों के न ही तो नाम लिए और न ही पाखंड शब्द का प्रयोग किया.   (ii)  पेज 1 पर " सोनिया ने नहीं की PM से मुलाक़ात " ख़बर भी भ्रमित करने वाली है.  चोपड़ा जी, देश दुनिया को उपदेश देने से कहीं ज्यादा अच्छा है शुद्ध ख़बर देना. कृपया इस और भी ध्यान दीजिए.

Tuesday, September 13, 2011


सिरसा 13 सितम्बर 2011.
1.) " वापिस बुलाने का अधिकार " अमेरिका,स्वीटज़रलैंड, कनाडा, ब्रिटिश, कोलंबिया व वेनेजुएला में तो पहले से ही है. भारत के मध्य प्रदेश व छतीसगढ़ में शहरी निकायों पर 2001 से लागू है. फिर MLAs व MPs पर लागू क्यों नहीं किया जाता ? भ्रष्ट लगों को वापिस बुलाने का कानून पर्ण रूप से देश के हित में है. इसे तुरन्त बनाया जाए. अन्ना की मांग देश हित में है.
2.) BJP " वोट के बदले नोट " मामले में कांग्रेस को घेर रही है, PM से त्यागपत्र मांग रही है. आडवाणी जी ने पूरे देश में इस मुद्दे को लेकर रथ यात्रा की घोषणा संसद में करने के साथ-साथ सरकार से स्वयं को गिरफ्तार करने की मांग भी संसद में कर डाली. इन सबके बावजूद आरोपी अमर सिंह के वकील राम जेठमलानी जो BJP के सांसद हैं जिन्हें BJP ने "स्टैंडिंग कमेटी" में भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कानून बनाने हेतु भेजा ने माननीय कोर्ट में अमर सिंह का पक्ष मजबूत करने हेतु BJP को कटघरे में खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. लगता है देश के लिए बहुत कुछ अच्छा होगा. क्योंकि जेठमलानी की तरह कांग्रेस के मणिशंकर अय्यर ने भी समय-समय पर कांग्रेस की पोल खोली. देश को सही राय बनाने के लिए प्रकृति मौके दिलवा रही है. हमें प्रकृति की इच्छानुसार चलना चाहिए.
3.) श्रीमान विजय चोपड़ा जी, एक बहुत बड़ी व चौंकाने वाली खबर कि PM ने CM दिल्ली को शहीद भगत सिंह को फांसी लगवाने वाली मुख्य गवाह शोभा सिंह को सम्मानित करने हेतु लिखे पत्र के विरोद्ध में सिरसा में A.I.S.F. ने PM का पुतला फूंका को मुख्य अखबार "पंजाब केसरी" के बजाए "सिरसा केसरी" में छापना आश्चर्य पैदा करता है. इसके अतिरिक्त E-मीडिया भी इस ख़बर बारे चुप है भी आश्चर्यजनक है. वास्तविकता क्या देश से छुपाई जा रही है ?     
सिरसा 12 सितम्बर 2011.    
1.) देश पर राज करने वाली कांग्रेस के महासचिव श्री दिग्विजय सिंह उस अमर सिंह को निर्दोष बता रहे हैं जिस पर "वोट के बदले नोट " मामले में न सिर्फ मुकदमा चल रहा है बल्कि आरोपी तिहाड़ जेल में बंद भी है. यही नहीं वकील सहित आरोपी ने अपनी बीमारी को लेकर माननीय कोर्ट को गुमराह करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी. ऐसे में कांग्रेस नेता आरोपी के बचाव में बयान देकर किसको क्या संदेश देना चाहते हैं ? क्या यह कानूनी कार्य में दखल नहीं है ? कुछ भी हो इतना तो पक्का है जिसे देश मानता भी है कि कांग्रेस नेता का बयान कांग्रेस व सरकार की किरकिरी करने में सक्षम है.   
2.) कांग्रेस व कांग्रेसनीत सरकार बयान तो देती रही है देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के, लेकिन जैसा लेखक M.J. अकबर ने लिखा    " हो गया देश मे आतंकवाद जोखिम मुक्त ".

Sunday, September 11, 2011

श्री केजरीवाल जी को भी एक नोटिस कांग्रेस महासचिव श्री दिग्विजय सिंह को भिजवा देना चाहिए


सिरसा 11 सितम्बर 2011.
आदरणीय देश/समाज हितैषी अन्ना के भ्रष्टाचाररोधी आन्दोलन को माननीय PM व कांग्रेस नेता दिग्विजय का शुभ शगुन/संकेत मानना अपने आप में एक शुभ संकेत/शगुन है. सहयोग ही एक रास्ता है जो देश को भ्रष्टचार मुक्त करवाने की और जाता है. भ्रष्टाचार को मिटाने हेतु देश के पूर्व महामहिम राष्ट्रपति श्री APJ अब्दुल कलाम ने भी देशहित में युवाओं का अहवाह्न किया कि वे इसमें सक्रीय भागीदारी करें. लगता है भविष्य में जो होगा वह देशहित में ही होगा ऐसी हमारी प्रभु चरणों में प्रार्थना है.  
सिरसा 10 सितम्बर 2011.
1.) बिहार सरकार ने भ्रष्ट IAS की कोठी को जब्त करके स्कूल बना दिया. जहाँ कांग्रेस नीत सरकार व पार्टी बार-बार बयान देती है कि वह भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए वचनबद्ध है. वहीं वचनबद्धता का पालन भ्रष्ट नयायाधीश के त्याग पत्र को स्वीकार करके अपनी करनी और कथनी को जग जाहिर कर दिया. इससे पहले आदरणीय अन्ना व उनकी टीम के साथ जो किया उसको देश- दुनिया देख चुकी है.   
2.) आदरणीय श्री अन्ना ने जैसा कानूनी नोटिस कांग्रेस नेता श्री मनीष तिवारी को भिजवाया है ठीक इसी  तर्ज़ पर श्री केजरीवाल जी को भी एक नोटिस कांग्रेस महासचिव श्री दिग्विजय सिंह को भिजवा देना चाहिए. क्योंकि यह तो अब देश के सामने स्पष्ट हो चुका है कि कांग्रेस अदालत के सिवाय किसी को भी महत्व देना नहीं चाहती. यहाँ तक कि भ्रष्ट लोगों के विरुद्ध भी करवाती तब तक नहीं की जाती जब तक अदालत का आदेश नहीं आता

Thursday, September 8, 2011

अन्ना को कांग्रेस ने कहा चुनाव जीत कर आओ, अब जब चुनाव जीत कर आए सदस्यों ने नोट के बदले वोट मामले में बोलना चाहा तो कांग्रेस मंत्रियों व कांग्रेस सदस्यों ने बोलने तक नहीं दिया


सिरसा 09 सितम्बर 2011.
संसद के बाहर भ्रष्टाचार के विरोध में सख्त लोकपाल हेतु आदरणीय अन्ना ने अनशन किया तो कांग्रेस मंत्री व कांग्रेस ने कहा चुनाव जीत कर आओ. अब जब चुनाव जीत कर आए सदस्यों ने नोट के बदले वोट मामले में बोलना चाहा तो कांग्रेस मंत्रियों व कांग्रेस सदस्यों ने बोलने तक नहीं दिया. जाहिर है भ्रष्टाचार मामले में कांग्रेस की दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है. देश देख रहा है कि बकरे कि माँ कितने दिन खैर मनाती है.

Tuesday, September 6, 2011

लेकिन बदनाम भ्रष्टाचार का विरोध करने वालों को करने पर तुली हुई है जिसे देश समझता है.


सिरसा 07 सितम्बर 2011.
1.) जब-जब कांग्रेस नेता श्री मनीष तिवारी व श्री दिग्विजय सिंह ने अन्ना व अन्ना टीम पर कीचड़ फेंका, दुर्गति कांग्रेस की होने के साथ-साथ अन्ना व उनकी टीम की इज्जत बढ़ी. लोग ज्यादा से ज्यादा जुड़े. हम चाहते है कि कांग्रेस के लोग लगातार ऐसा करते रहे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग कांग्रेस से दूर व अन्ना के साथ जुड़े.   
2.) कैसी विडंबना है ? सरकार सख्त लोकपाल बनाए के लिए अन्ना ने अनशन किया. टकराव सरकार से हुआ, सरकार UPA की है, लेकिन परेशानी सिर्फ कांग्रेस व कांग्रेस मंत्रियों को हुई. जाहिर है दाल में काला है. क्या काला है कांग्रेस व मंत्रियों को देश को बताना चाहिए. अजीब बात है एक तरफ कांग्रेस व सरकार सख्त लोकपाल की बात करती है लेकिन बदनाम भ्रष्टाचार का विरोध करने वालों को करने पर तुली हुई है जिसे देश समझता है. 
3.) क्या देश के डॉक्टर बड़े लोगों का इलाज करने के लायक नहीं है या बड़े लोग इन्हें इस लायक समझते नहीं ? लग तो ऐसा ही रहा है. क्योंकि सरकारी अधिकारी, उद्योगपति, राजनेता, क्रिकेट खिलाड़ी इलाज के लिए विदेश ही जाते है.        

Monday, September 5, 2011

श्री अरविन्द केजरीवाल ने आदरणीय अन्ना के " जन लोकपाल " हेतु देशहित में संघर्ष करके हरियाणा का नाम रोशन किया


सिरसा 06 सितम्बर 2011.
श्री अरविन्द केजरीवाल ने आदरणीय अन्ना के " जन लोकपाल " हेतु देशहित में संघर्ष करके हरियाणा का नाम रोशन किया है की जितनी तारीफ़ की जाए कम है. हरियाणा की ओर से श्री केजरीवाल को बड़ा तोहफा देने का अब सुनहरा मौका आने वाला है. वो सुनहरा मौका है हिसार का संसदीय चुनाव. हमारा अनुरोध है कि इस चुनाव में श्री केजरीवाल को निर्विरोध निर्दलीय सांसद चुन कर लोकसभा में भेजा जाए ताकि भ्रष्टाचार रोधी लड़ाई और अधिक शक्ति के साथ लड़ी जा सके. अगर ऐसा हो जाता है तो यह हरियाणा के नाम को " चार चाँद " लगाने वाला देश में एक अलग व अनूठा इतिहास होगा. सभी दल देश हित में यह फैसला ले. अब चुक गए तो फिर ऐसा मौका शायद ही आए. ऐसा करने से किसी भी पार्टी को नुक्सान नहीं बल्कि फायदा ही होगा.
सिरसा 05 सितम्बर 2011.
कैसी विडंबना है जहाँ J&K के CM कह रहे है उन्हें चुप करवाने का अधिकार केवल उनके राज्य के लोगों को ही है. वहीं हमारे कांग्रेस मंत्री, सांसद व CM उतरप्रदेश सहित सब ने जोर देकर बार-बार कहा कि "जन लोकपाल" लाना है तो पहले चुनाव जीतो, संसद में जाओ और फिर बना लेना " जन लोकपाल ". यह भद्दा मजाक उन लोगों के साथ किया जिन्होंने इन्हें चुनकर भेजा. क्या यह सब देश के "संविधान" में जैसे " Govt. of The People, By The People and For The People " लिखा है के अनुरूप है या देश के "संविधान" का अपमान है ? फैसला देश करे.                                                                                     
  
 
    

Sunday, September 4, 2011

JDU अध्यक्ष श्री शरद यादव ने महामहिम राष्ट्रपति व राज्यपाल पर जो घिनौनी टिपण्णी करके जो कुछ दिन पहले सांसद


सिरसा 04 सितम्बर 2011.
JDU अध्यक्ष श्री शरद यादव ने महामहिम राष्ट्रपति व राज्यपाल पर जो घिनौनी टिपण्णी करके जो कुछ दिन पहले सांसद में कहा"हमारा तो काम ही पगड़ी उछालना है" के बाद "हमने बड़े बड़ों की पगड़ी उछाली है" का पुख्ता प्रमाण दे दिया. उस समय सांसदों ने मेजें थपथपा कर खुला समर्थन दिया. अजीब विडंबना है कि विशेषाधिकारहनन मामले में जमीन-आसमान एक करने वालों को व उनकी पार्टी को भी इस बार कुछ भी बुरा नहीं लगा. बुरा लगता तो क्या बोलते नहीं ? क्या विशेषाधिकार मात्र सांसदों तक ही सीमित है ? 

Saturday, September 3, 2011

भ्रष्टाचार को समाप्त करना व काले धन को वापस लाने हेतु कार्यवाही करना सरकार की जुम्मेदारी व फ़र्ज़ है. लेकिन

सिरसा 03 सितम्बर 2011.भ्रष्टाचार को समाप्त करना व काले धन को वापस लाने हेतु कार्यवाही करना सरकार की जुम्मेदारी व फ़र्ज़ है. लेकिन इसके बजाए सरकार कार्यवाही उन देश व समाज हितैषियों के विरूद्ध कर रही है जो भ्रष्टाचार, कालेधन के विरोध में आवाज़ उठाते हैं, आन्दोलन करते है, धरना देते है या अनशन करते है. सरकार की इस सोच की जितनी निंदा की जाए कम  है.   

सिरसा 02 सितम्बर 2011.
1.) IBN-7 के "एजेंडा" कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार श्री अलोक मेहता ने बड़ी ही बेशर्मी का प्रदर्शन करते हुए अन्ना समर्थन में आए लाखों लोगों को "जनता" नहीं "भीड़" थी कह कर वास्तव में निंदनीय कार्य के साथ-साथ पत्रकारिता का खुल कर दुरूपयोग भी किया.
2.) अजाब विडम्बना है जबसे P.M. की पिछले दिनों हुई प्रेस कांफ्रेंस में 5 पत्रकारों के साथ इसको क्या बुलाया कि उस दिन बाद तो इस महानुभाव के तो बोलने के तौर तरीके पूर्ण रूप से बदल गए. लगता है PMO ने जो इज्जत दी वह श्रीमान जी हजम नहीं कर पाए. यही कारण होगा कि "जनता" को "भीड़" यानी "जानवर" माना जा रहा है. अलोक मेहता की सोच की जितनी निंदा की जाए कम है.      
3.) पूर्व केन्द्रीय मंत्री थरूर ने जो JNU में कहा को ये बाते मंत्री पद त्यागने से पहले उस मीडिया को बतानी चाहिए थी जिसने गंभीर आरोपाधीन मोर्चा खोला. जिसकी बदौलत समझदार व ईमानदार मंत्री को मंत्री पद छोड़ना पड़ा.
4.) अन्ना के विरूद्ध जहर उगलने वालों को यह स्पष्ट समझ लेना चाहिए कि " अब चाहें कांग्रेस रोए या भाजपा, नहीं रुकेगा अन्ना का भ्रष्टाचार के विरूद्ध बजना बाजा "
सिरसा 01 सितम्बर 2011. 
प्रेस एशिया इंटरनेशनलनुसार जब बिहार के एक गाँव के स्कूल में बच्चों से पूछा गया कि उनका सपना क्या है ? तो 9 व 10 साल के बच्चों ने कहा " भर पेट खाना ". इस दयनीय हालात के फ़िक्र के बजाए सत्ताधारी JDU अध्यक्ष शरद यादव व सत्ता में रह चुकी RJD अध्यक्ष लालू यादव को फ़िक्र इस बात का है कि कहीं आदरणीय अन्ना का भ्रष्टाचाररोधी व देश हितैषी " जन लोकपाल " न बन जाए अपने आप में पुख्ता प्रमाण है इन्हें देश व समाज के हित से कोई लेना देना नहीं है. ऐसे लोगों की जितनी निंदा की जाए कम है.              
सिरसा
31 अगस्त 2011.
श्री ओम पूरी व किरण बेदी ने जो देश के लोग बोलते हैं वही बोला को जन प्रतिनिधियों ने विशेषाधिकार हनन माना. लेकिन सांसद श्री शरद यादव ने जो कहा को क्या कहा जाए ? जैसे " हमारा तो काम ही पगड़ी उछालना है ". इसके साथ धर्म गुरु आदरणीय श्री भैयू जी सहित किरण बेदी जी व श्री ओम पूरी का मजाक उड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी जिस पर सांसदों ने मेजें थपथपा कर समर्थन दिया. क्या ऐसा करके सांसदों ने देश व संसद की छवि को धूमिल नहीं किया ? माननीय सांसदों को विशेषाधिकार के साथ जुम्मेदारी की चिंता होती तो 49 साल से लोकपाल व 18 साल से चुनाव सुधार बिल धूल नहीं चाट रहे होते. यही नहीं " बेनामी लेन-देन अधिनियम " 23 साल बाद भी लागू होने की स्थिति में नहीं है. वित्तमंत्रीनुसार लागू करने हेतु 23 साल में जरुरी नियम नहीं बन पाए. सत्र चल रहा है मेजे खाली पड़ी है. क्या यह देश की उस जनता का मजाक नहीं जिसने सांसदों को चुना ?

Tuesday, August 30, 2011

लोकपाल बिल 49 साल से व चनाव सुधार बिल 18 साल से धूल चाट रहे हैं. यह एक दर्पण है जो दिखता है कि हमारे सांसद अपने कर्त्तव्य के प्रति कितने सचेत हैं

सिरसा 30 अगस्त 2011.
लोकपाल बिल 49 साल से व चनाव सुधार बिल 18 साल से धूल चाट रहे हैं. यह एक दर्पण है जो दिखता है कि हमारे सांसद अपने कर्त्तव्य के प्रति कितने सचेत हैं ? लेकिन श्री ओम पूरी व श्रीमति किरण बेदी जी को लेकर सासदों ने जिस तरह जमीन-आसमान एक किया से प्रमाणित होता है कि हमारे सांसद मात्र केवल मात्र अपने कर्तव्य के बजाए विशेषाधिकार के प्रति जरूरत से ज्यादा सचेत है. क्या जनता ने इन्हें केवल इस लिए चुना है ? क्या यह जनता के विशेषाधिकार का हनन नहीं है ? 
सिरसा 29 अगस्त 2011.
1.) धूर्त अग्निवेश ने अन्ना आन्दोलन को जब पहली बार नुक्सान पहुंचाने की कोशिश को अन्ना टीम के नजरअंदाज ने इस गद्दार की हिम्मत बढ़ा दी. और इसने संतसमाज, आर्यसमाज, विशवास, भगवां भेष, इंसानियत सहित देश की नाक कटवाने वाला निंदनीय पाप कर दिया. इस पाप कर्म में किस मंत्री की मदद थी की जांच के साथ-साथ यह भी जांच होनी चाहिए कि जो 4-5 जून की रात्रि को हुआ उसमे ढोंगी अग्निवेश का हाथ है या नहीं. देशहित को लेकर मीडिया को भी जांच अपने स्तर पर करनी चाहिए की अपील की जाती है. 
2.) क्या वास्तव में सांसदों का काम पगड़ी उछालना ही है ? क्या इन्हें मात्र पगड़ी उछलने के लिए ही चुना है ? ये लोग तो ऐसा ही मानते हैं. यही वजह है कि 27 अगस्त को संसद में श्री शरद यादव ने छाती ठोक कर कहा " हमारा 
 
काम तो पगड़ी उछालना ही है." सांसदों ने मेजें थपथपा कर इनकी बात का समर्थन किया. क्या श्री यादव व मेज थपथपाने वाले सदस्यों के व्यव्हार से संसद की गरिमा को चोट नहीं पहुंची ? फिर किस आधार पर ये लोग संसद की गरिमा, संसद की गरिमा की दुहाई देते रहते हैं ? क्या इनसे इनके तानाशाही व्यवहार के लिए कोई पूछने वाला नहीं है ? अगर कोई है तो पूछा क्यों नहीं जाता ? हमें श्री यादव के व्यवहार पर सख्त ऐतराज़ है. 

Thursday, August 25, 2011

अन्ना देशहित को लेकर 9 दिनों से अनशन पर थे वहीं PM की दावत में सभी दलों के नेताओं ने स्वादिष्ट भोजन का खुल कर आनंद लिया.


सिरसा 26 अगस्त 2011.
सिर्फ हम ही नहीं पूरा देश महिला लेखक माननीय देवी चेरियन के विचार " चतुर कांग्रेसी राजनीतिज्ञों व रणनीतिकारों ने PM के बचाव के बजाए पूरी सफलता से उनकी छवि के परखच्चे उड़ा दिए. वही PM (सलाहकार सहित) ने चुप्पी धारण करके न सिर्फ अपनी बल्कि उस कांग्रेस और नेहरु/गाँधी परिवार की छवि धूमिल की जिसने इन्हें PM बनाया."  पूरी तरह से सहमत हैं. दुसरे जानकार लेखकों ने भी समय-समय पर अपने विचार कुछ ऐसे ही दिए कि "कुछ लोग श्रीमती सोनिया गाँधी व राहुल को सबक सिखाना चाहते हैं वहीं कुछ PM को घेरना चाहते हैं." कुछ भी हो अन्ना ने भ्रष्टाचार मुद्दे पर देश के सभी वर्ग के फूलों को एक माला का रूप दे diya.
सिरसा 25 अगस्त 2011.
रोम जल रहा है, नीरो महल में बैठा चैन से बंसी बजा रहा है." यह कहावत सरकार व राजनीतिक दलों पर पूरी तरह से फिट बैठती है. अन्ना देशहित को लेकर 9 दिनों से अनशन पर थे को पूर्ण अनदेखा करके जहां PM ने दावत दी वहीं सभी दलों के नेताओं ने स्वादिष्ट भोजन का खुल कर आनंद लिया. ऐसे समय में अन्ना के समर्थन में ( जैसे कुछ लोग नाटक कर रहे हैं ) उपवास रखने के बजाए दिखावे के तौर पर मियादी के माध्यम से अन्ना अनशन तोड़े की अपील करना नहीं भूले. बकौल मंत्री सलमान खुर्शीद वो बात करना चाहते हैं लेकिन सहयोगी मंत्री नहीं चाहते. ऐसे में सवाल यह  उठता है कि सरकार क्या चाहती है तथा सरकार को चला कौन रहा है ? हमारी सोच यह है कि सरकार जो चाहे करे लेकिन अंतिम फैसला जब प्रकृति करेगी तब दुनिया की सारी सरकारें, पुलिस व मिलट्री रोक नहीं पाएंगी. अब भी सरकार के पास अच्छा करने के लिए बहुत कुछ है.
2. आदरणीय अन्ना के अनशन का 10वें दिन में प्रवेश अपने आप में पुख्ता प्रमाण है कि वास्तव में अन्ना अनशन से फ़िक्र करने वालों की सेहत दिन-प्रतिदिन बिगड़ रही है चिंता उसकी है न कि आदरणीय अन्ना की.
3. आदरणीय अन्ना के दर्द एवं पवित्र संकल्प को मीडिया के कुछ लोग 'जिद्द" मान रहे हैं वह न्यायप्रिय नहीं है. मीडिया को "दर्द"         व "जिद्द" शब्द में फर्क करना चाहिए.
4. माननीय ईश्वर डावरा जी, आपने आदरणीय अन्ना जी को बहुमूल्य राय उस समय अपने लेख के जरिये दी जब अन्ना जी का अनशन 10वें दिन में प्रवेश कर गया. आपकी इस राय को क्यों, कैसे व कहां तक उचित माना जाए ? अन्ना जी की अनशन घोषणा से अब तक आप क्यों चुप रहे ? आप अपने ज्ञान को इस पवित्र देश हितैषी कार्य में लगाएं न लगाएं आपकी इच्छा, पर कृपया कांटे बिछाने का कार्य तो न कीजिये.   -  पाठक सिरसा        
सिरसा 24 अगस्त 2011.
जनता  के वोट से बनी सरकार भ्रष्टाचार मिटाने हेतु बयान देती रहती है कि वह वचनबद्ध है लेकिन इसे मिटाने के लिए "जन लोकपाल" की मांग जिसके लिए अन्ना 9 दिन से अनशन पर है जन्हें देश का भरपूर समर्थन है को स्वीकार नहीं करना चाहती. जाहिर है सरकार की कथनी व करनी में जमीन आसमान का  फर्क है. जिसे देश जान चुका है. सरकार की छवि निरंतर धूमिल होती जा रही है.