सिरसा 17 दिसम्बर 2011
1.) आपका "कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा" लेख "यदि लोकपाल भी भ्रष्ट हो गया तो ..." पढ़ कर लगा आप भी गृहमंत्री की बराबरी कर रहीं है, शायद यही कारण होगा जो आपने अन्ना के अनशन को जहाँ 11 के बजाए 10 दिसम्बर, वहीं अप्रैल से दिसम्बर के बीच के महीनों को 7 के बजाए 6 लिखा. हम आपकी इस कमजोरी को दूर करने के लिए यही राय देते हैं कि"बुद्धि/यादाश्त" हेतु वो प्रयोग करें जो पूजनीय संत श्री आशाराम जी बापू समय-समय पर बतलाते हैं.
2.).... आपको समझ लेना होगा कि लोकपाल भ्रष्ट होने की आपकी धारणा वैसी ही है जैसे कोई शादी से यह कह कर इनकार करता है कि शादी के बाद तलाक हो गया तो. या कोई सफर करने से इसलिए इनकार करता है कि एक्सिडेंट हो गया तो में मर गया तो आदि. कृपया देश को भ्रमित न करें.
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