सिरसा 26 अगस्त 2011.
सिर्फ हम ही नहीं पूरा देश महिला लेखक माननीय देवी चेरियन के विचार " चतुर कांग्रेसी राजनीतिज्ञों व रणनीतिकारों ने PM के बचाव के बजाए पूरी सफलता से उनकी छवि के परखच्चे उड़ा दिए. वही PM (सलाहकार सहित) ने चुप्पी धारण करके न सिर्फ अपनी बल्कि उस कांग्रेस और नेहरु/गाँधी परिवार की छवि धूमिल की जिसने इन्हें PM बनाया." पूरी तरह से सहमत हैं. दुसरे जानकार लेखकों ने भी समय-समय पर अपने विचार कुछ ऐसे ही दिए कि "कुछ लोग श्रीमती सोनिया गाँधी व राहुल को सबक सिखाना चाहते हैं वहीं कुछ PM को घेरना चाहते हैं." कुछ भी हो अन्ना ने भ्रष्टाचार मुद्दे पर देश के सभी वर्ग के फूलों को एक माला का रूप दे diya.
सिरसा 25 अगस्त 2011.
" रोम जल रहा है, नीरो महल में बैठा चैन से बंसी बजा रहा है." यह कहावत सरकार व राजनीतिक दलों पर पूरी तरह से फिट बैठती है. अन्ना देशहित को लेकर 9 दिनों से अनशन पर थे को पूर्ण अनदेखा करके जहां PM ने दावत दी वहीं सभी दलों के नेताओं ने स्वादिष्ट भोजन का खुल कर आनंद लिया. ऐसे समय में अन्ना के समर्थन में ( जैसे कुछ लोग नाटक कर रहे हैं ) उपवास रखने के बजाए दिखावे के तौर पर मियादी के माध्यम से अन्ना अनशन तोड़े की अपील करना नहीं भूले. बकौल मंत्री सलमान खुर्शीद वो बात करना चाहते हैं लेकिन सहयोगी मंत्री नहीं चाहते. ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार क्या चाहती है तथा सरकार को चला कौन रहा है ? हमारी सोच यह है कि सरकार जो चाहे करे लेकिन अंतिम फैसला जब प्रकृति करेगी तब दुनिया की सारी सरकारें, पुलिस व मिलट्री रोक नहीं पाएंगी. अब भी सरकार के पास अच्छा करने के लिए बहुत कुछ है.
2. आदरणीय अन्ना के अनशन का 10वें दिन में प्रवेश अपने आप में पुख्ता प्रमाण है कि वास्तव में अन्ना अनशन से फ़िक्र करने वालों की सेहत दिन-प्रतिदिन बिगड़ रही है चिंता उसकी है न कि आदरणीय अन्ना की.
3. आदरणीय अन्ना के दर्द एवं पवित्र संकल्प को मीडिया के कुछ लोग 'जिद्द" मान रहे हैं वह न्यायप्रिय नहीं है. मीडिया को "दर्द" व "जिद्द" शब्द में फर्क करना चाहिए.
4. माननीय ईश्वर डावरा जी, आपने आदरणीय अन्ना जी को बहुमूल्य राय उस समय अपने लेख के जरिये दी जब अन्ना जी का अनशन 10वें दिन में प्रवेश कर गया. आपकी इस राय को क्यों, कैसे व कहां तक उचित माना जाए ? अन्ना जी की अनशन घोषणा से अब तक आप क्यों चुप रहे ? आप अपने ज्ञान को इस पवित्र देश हितैषी कार्य में लगाएं न लगाएं आपकी इच्छा, पर कृपया कांटे बिछाने का कार्य तो न कीजिये. - पाठक सिरसा
सिरसा 24 अगस्त 2011.
जनता के वोट से बनी सरकार भ्रष्टाचार मिटाने हेतु बयान देती रहती है कि वह वचनबद्ध है लेकिन इसे मिटाने के लिए "जन लोकपाल" की मांग जिसके लिए अन्ना 9 दिन से अनशन पर है जन्हें देश का भरपूर समर्थन है को स्वीकार नहीं करना चाहती. जाहिर है सरकार की कथनी व करनी में जमीन आसमान का फर्क है. जिसे देश जान चुका है. सरकार की छवि निरंतर धूमिल होती जा रही है.
No comments:
Post a Comment