Saturday, September 17, 2011


सिरसा 17 सितम्बर 2011.
1.) यह समय का अनोखा चक्र ही तो है कि अन्ना नाम के जिस महापुरुष व उनकी टीम पर कांग्रेस नेताओं/मंत्रियों ने अनेक स्तरहीन आरोप लगाए आज वही कांग्रेस गुजरात CM के 3 दिनों के उपवास के जवाब में 3 दिनों का न सिर्फ उपवास कर रही है बल्कि राजनैतिक ब्र्त्रनी पार करने की मंशा से उसी अन्ना नामक महापुरुष के बयान का सहारा ले रही है. इसे किसका मुखौटा  कहा जाए ? अजीब विडम्बना है एक तरफ कांग्रेस नेता उपवास पर है, वहीं गुजरात विधान सभा के नेता विपक्ष व कांग्रेस नेता उपवास पर कटाक्ष करते हैं कि क्या उपवास करने से आतंकी कसाब के पाप कट सकते हैं ? CM मोदी पर किया गया कटाक्ष क्या कांग्रेस खुद पर लागू नहीं होता ? 
2.) PM कहते हैं "देश की सुरक्षा की स्थिति अनिश्चित है". घोटाले हुए तब कहा गया "हमारी मज़बूरी है." पेट्रोल कीमत बढ़ी तो मंत्री व कांग्रेस नेता कहते है "हमे चिंता है" अगर चिंता से महंगाई कम हो जाए तो कांग्रेस से कहीं ज्यादा चिंता तो देश के उन 80% लोगों को है जिनकी दैनिक आमदनी 20 रूपये से भी कम है. चिंता से महंगाई नहीं, चिंता से चतुराई,गरिमा और ज्ञान (दिमाग) घटता है. देश तो यह सोच कर दुखी है कि 2014 आने में समय बहुत है. कोई बात नहीं 2012 तो जल्दी आएगा. 
सिरसा 16 सितम्बर 2011.
1.) सरकार पहले MLA, MP, मंत्रियों की तनख्वाह व दुसरे लाभों को बढाती है फिर पेट्रोल की कीमत. ताकि देश वासियों की गाडी कमाई पर ऐश करने वालों को कोई परेशानी न होने पाए.लगता है लोकतंत्र को मजबूत करने का सरकार के पास यही सरल व सुगम उपाय है. क्योंकि अन्ना के भ्रष्टाचार रोधी शांतिपूर्ण आन्दोलन को तो सरकार लोकतंत्र के लिए खतरा बता ही चुकी है.   
2.) वोट के बदले नोट काण्ड के आरोपी अमर सिंह की नजदीकी मित्र एवं सांसद जयप्रदा ने कहा है कि अगर श्री अमर सिंह ने मुंह खोल दिया तो बहुत से बड़े-बड़े लोग मुसीबत में फंस जाएंगे. विपक्ष के साथ-साथ खबरिया चैनलों का इतनी बड़ी बात को महत्व न देना आश्चर्यजनक है. 
3.) विजय चोपड़ा साहिब, अजीब विडम्बना है आप अमेरिका को उसके गलत आंकलन बारे समझा रहे हैं वहीं आपका अखबार"अधूरी/अशुद्ध" खबर दे रहा है. ( देखे पेज न. 2 पर छपी ख़बरें ) (i) "बम धमाके सरकार पर धब्बा : चिदंबरम" :- ख़बर E मीडिया के हवाले से दी गई है लेकिन E-मीडिया ने तो ख़बर में गृह मंत्री व गृह मंत्रालय का नाम लिया था. एक मंत्री अपनी या अपने मंत्रालय की गलती को सरकार की गलती है कैसे कह सकता है ? अगर ऐसा होता तो क्या आज राजा के साथ पूरी सरकार जेल में नहीं होती ? (ii)ख़बर में श्री चिदम्बरम को सह अभियुक्त बनाने की याचिका दायर हुई बताया गया है. जबकि E-मीडिया अनुसार याचिका स्वीकार कर ली गई. सुनवाई 26 सितंबर को होगी. चोपड़ा जी अखबार की गरिमा शुद्ध व पूरी ख़बर छापने से होगी न कि राखी सावंत की स्तरहीन मंशा को प्रथम पृष्ठ पर छापने से.      
सिरसा 15 सितम्बर 2011.
1.) भ्रष्टाचार मुद्दे में साख धूमिल करवाने के बाद अब भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने हेतु सरकार जो कर रही है वह " ऊंट के मुंह में जीरा " जैसा ही है. अगर सरकार देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना चाहती है तो अध्यादेश के जरिये " जनलोकपाल " लाए. जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा व सरकार की छवि भी सुधरेगी. 
2.) यह विडंबना ही है कि अन्ना आन्दोलन के चलते BJP की गरिमा में तो गजब की बढोतरी हुई लेकिन उसकी तन्द्रा नहीं टूटी. जिसके चलते छवि पल-पल धूमिल होती जा रही है. कांग्रेस और बीजेपी की भ्रष्टाचार पर एक ही सोच है कि बयान के अतिरिक्त करना कुछ ना पड़े. कहने को तो BJP भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए अन्ना के साथ है लेकिन लोकायुक्त बनाने में कांग्रेस का ही साथ दे रही है. यानी दोनों की कथनी करनी " हाथी के दांतों " जैसी है. 

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