Tuesday, October 4, 2011

अन्ना की प्रेस वार्ता के बाद कांग्रेस में कितनी बेचैनी हुई वह उसकी ओर से आई प्रतिक्रिया से अपने आप स्पष्ट हो गई.


सिरसा 05 अक्तूबर 2011.
1.) अन्ना की प्रेस वार्ता के बाद कांग्रेस में कितनी बेचैनी हुई वह उसकी ओर से आई प्रतिक्रिया से अपने आप स्पष्ट हो गई. वहीं कांग्रेस की प्रतिक्रिया से यह भी लगा कि कांग्रेस न ही तो सख्त जनलोकपाल चाहती है तथा न ही उसने अपनी गलतियों से सबक लिया. फैसला अब भी देश की जनता ने ही लेना है.
2.) योजनाआयोगनुसार बड़े शहर में 32 व गाँव में 26 रूपये रोज खर्च करने वाले गरीब नहीं है. जिसके लिए योजनाआयोग के उपाध्यक्ष को न सिर्फ श्री राहुल गाँधी से डांट खानी पड़ी, बल्कि राष्ट्रिय सलाहकार परिषद् के सदस्यों ने तो त्यागपत्र तक मांग लिया. दूसरी ओर शहरों में करोड़ों अरबों खर्च करके बड़े-बड़े अस्पताल बना कर करोड़ों अरबों कमाते हैं को सरकार बेहद कम कीमत पर न सिर्फ जमीन देती है बल्कि "अखबार पंजाब केसरी" में छपे लेखनुसार साल 2011-12 में 1.74 लाख करोड़ की कस्टम ड्यूटी में छूट दे रही है. ऐसा क्यों ? इस तरह की या किसी दूसरी तरह की छूट कब से दी जा रही है व कितनी दी गई देश को सरकार अवगत करवाए. जिस तरह आए दिन नए-नए घोटाले देश के सामने आ रहे हैं से शंका होती है कि इन छूट के रूप में परदे के पीछे हो सकता है कोई घोटाला किया गया है. समय की मांग है कि इस मामले कि जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा करवाई जाए.
3.) विजय चोपड़ा जी आपने दिल्ली के उन 37 अस्पतालों बारे लिखा जिनको सरकार ने गरीबों का मुफ्त इलाज करने कि शर्त पर (जिसक पालन सभी नहीं कर रहे) बेहद कम कीमत पर जमीन दी. सरकार इनके विरुद्ध कारवाई करने के बजाए आपके लेखनुसार इन अस्पतालों को वर्ष 2011-12 के दौरान1.74 लाख करोड़ की कस्टम ड्यूटी में छूट देने जा रही है. इस छूट से पहले भी छुट दी होगी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. आपके लेखनुसार तो सिर्फ 2 छूट ही सामने आई है. इन 2 के अतिरिक्त कोई और छूट (किसी और रूप में दी गई) से इनकार नहीं किया जा सकता है. वास्तव में यह एक गहन जाँच का मामला है जो सुप्रीम कोर्ट की देख रेख में ही होनी चाहिए. आप पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री के साथ-साथ देश के स्वास्थ्य मंत्री का भी ध्यान दिलवा देते तो अच्छा होता. मीडिया अपने स्तर पर इस देश हितैषी मामले की जांच करके देश को सत्य से अवगत करवाए का अनुरोध किया जाता है. 
4.) देश के रक्षामंत्री तालिबान को वहीं गृहमंत्री जी आतंक के बजाए नक्सलवाद को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा मान रहे हैं. लेकिन इनसे अलग अखबार पंजाब केसरी के E.I.C. श्री विजय चोपड़ा देश को तबाह करने के लिए चीन को सबसे बड़ा खतरा मान रहे हैं. देश का मानना है कि वास्तव में सबसे बड़ा खतरा राजनीतिज्ञों की भ्रष्टाचार,आतंकवाद, कालाधन, नक्सलवाद, मिलावटवाद, महंगाई आदि-आदि से निपटने की इच्छा शक्ति का ना होना है. सरकार चिंतित है बयान देकर काम चलाना चाहती है, जबकि दुनिया जानती है कि भ्रष्टाचार पर नकेल चिंता नहीं जनलोकपाल डालेगा. 
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सिरसा 02 अक्तूबर 2011.
1.) देश हितैषी अन्ना को घर से गिरफ्तार किया, फिर जेल भेज दिया. बाबा रामदेव प्रकरण में सोए हुए लोगों (बच्चे, महिलाएं, व बुजुर्गों) को बेरहमी से पीटना को लेकर कांग्रेस व सरकार ने कहा कि इसके अतिरिक्त सरकार के पास कोई विकल्प नहीं था. जो किया पुलिस ने किया सरकार का इसमें कोई हाथ नहीं है. आज वही सरकार व कांग्रेस नेता गुजरात के एक IPS की गिरफ्तारी को लेकर कह रहे है कि यह मोदी की तानाशाही है, मोदी फासिस्ट है आदि-आदि. इससे तो यह अपने आप साबित हो जाता है कि दिल्ली में जो अत्याचार हुआ वह कांग्रेस व सरकार ने ही करवाया था. कांग्रेस व सरकार दोहरा मापदंड क्यों अपना रही है ?
2.) माननीय विजय चोपड़ा जी, आपके अखबार "पंजाब केसरी" को आज देखा तो लगा कि यह अखबार है या "इश्तियार". अखबार में छपे विज्ञापन से तो ऐसा स्पष्ट आभास हर किसी को हो सकता है. जाहिर है ख़बरों के बजाए अधिक से अधिक धन बटोरने के लालचाधीन यह सब कुछ हो रहा है. जिसमे पाठकों की जेब को समय-समय पर कीमत में वृद्धि करके बड़ी सावधानी से लूटा जाना शामिल है. यह हालत उस अखबार की है जिसका E.I.C. देश दुनिया को समय-समय पर उपदेश देने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ता. अखबार की इस धन बटोरने की नीति का हम निंदा व विरोध करते हुए मांग करते हैं कि पाठकों के साथ ज्यादा ख़बर देकर न्याय किया जाए. 
सिरसा 01 अक्तूबर 2011.
1.) श्री विजय चोपड़ा जी, "BJP में अंतर्कलह" शीर्षकाधीन जो छापा गया वह केवल मात्र मीडिया की सोच है. कार्यकारिणी की सभा में पार्टी ने प्रथम दिन क्या-क्या निर्णय लिए बारे आपका अखबार चुप क्यों  है ? क्या यह अखबार का अंतर्कलह है ? लगता है आपका अखबार भी अंतर्कलह से पीड़ित है. हो सकता है आपको भी देश के PM की तरह कुछ जानकारी न हो व इस बारे किसी ने आपको कुछ बताया भी नहीं होगा. कुछ भी हो ख़बर के प्रति आपके अखबार का नीरस रवैया निंदा योग्य है. 
2.) श्रीमान पुंज साहब, "वोट के बदले नोट" मामले में आपके सांसद जेल में पड़े रो रहे हैं, आपकी पार्टी की हालत तो ऐसी है जैसे"जूतों में दाल बंट रही है" को अनदेखा करके आपने समाजहितैषी अन्ना को बदनाम करने की घिनौनी मंशा को लेकर जो कुछ लिखा की जितनी निंदा की जाए कम है. शीशे के घर में रहने वाले को उन पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए जो किल्ले में रहते हो. 
सिरसा 30 सितम्बर 2011.
माननीय विजय चोपड़ा जी, देश जानता है कि टैक्स ज्यादा या कम करने का अधिकार वित्त मंत्री का है न कि गृह मंत्री का. लेकिन फिर भी जैसे ही गृह मंत्री ने बड़े लोगों पर टैक्स बढाने का विचार प्रकट किया आप उसको सहन नहीं कर पाए और सरकार को चेतावनी तक दे डाली कि "अगर बड़े लोगों पर टैक्स बढाया तो ऐसे में टैक्स चोरी में वृद्धि होगी, काले धन की समस्या बढेगी, जिसने पहले ही सरकार की नाक में दम कर रखा है." मिसाल अमेरिका के देश हितैषी व दानी वारेन बफे की दी जा रही है, वही लेख सरकार को चेतावनी देते हुए "काले धन धारकों" की मदद में उस समय लिख रहे हो जब देश के 80% लोगों की आमदनी 20 रूपये से भी कम है. कुछ लोग आतंकियों को फांसी देने का विरोध करके उनका साथ दे रहे है, वैसे ही आप टैक्स को लेकर कालाधन धारकों (आर्थिक आतंकियों) का साथ दे रहे हो. आपके इस गरीब विरोधी लेख की जितनी निंदा की जाए कम है.निंदा सहित,

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