Tuesday, June 28, 2011

सरकार/कांग्रेस को स्पष्ट समझ लेना चाहिए कि छवि कथनी व करनी एक करने से सुधरेगी न कि संपादकों से मिलने से.

1.) आदरणीय अन्ना व बाबा रामदेव जी के भ्रष्टाचार, कालाधन विरोधी अनशन से पहले सरकार. मीडिया, बुद्धिजीवी, NGOS, स्वार्थी तत्व किसी को कोई परेशानी नहीं थी. अनशन के बाद सरकार सहित अनेक लोग अनेक तरह के सवालों को व लोकतंत्र को लेकर लोकतंत्र का ही बुरा हाल करने में कोई कोर-कसर बाकी नही छोड़ रहे.
2.) अनशन ने सरकार की कथनी व करनी की पोल खोल कर वास्तविक रूप देश के सामने ला दिया. सरकार व कांग्रेस ने अपनी छवि को बुरी तरह से धूमिल कर लिया अब सुधारने के लिए 4 महीने में एक बार भी संपादकों से न मिलने वाले P.M. से महीने में 4 बार मिलने को कहा गया है. सरकार/कांग्रेस को स्पष्ट समझ लेना चाहिए कि छवि कथनी व करनी एक करने से सुधरेगी न कि संपादकों से मिलने से.
3.) सरकार के पास छवि सुधारने का सबसे सरल तरीका है जनलोकपाल. सरकार को यह सुनहरी मौका नही गवाना चाहिए.

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