Tuesday, August 30, 2011

लोकपाल बिल 49 साल से व चनाव सुधार बिल 18 साल से धूल चाट रहे हैं. यह एक दर्पण है जो दिखता है कि हमारे सांसद अपने कर्त्तव्य के प्रति कितने सचेत हैं

सिरसा 30 अगस्त 2011.
लोकपाल बिल 49 साल से व चनाव सुधार बिल 18 साल से धूल चाट रहे हैं. यह एक दर्पण है जो दिखता है कि हमारे सांसद अपने कर्त्तव्य के प्रति कितने सचेत हैं ? लेकिन श्री ओम पूरी व श्रीमति किरण बेदी जी को लेकर सासदों ने जिस तरह जमीन-आसमान एक किया से प्रमाणित होता है कि हमारे सांसद मात्र केवल मात्र अपने कर्तव्य के बजाए विशेषाधिकार के प्रति जरूरत से ज्यादा सचेत है. क्या जनता ने इन्हें केवल इस लिए चुना है ? क्या यह जनता के विशेषाधिकार का हनन नहीं है ? 
सिरसा 29 अगस्त 2011.
1.) धूर्त अग्निवेश ने अन्ना आन्दोलन को जब पहली बार नुक्सान पहुंचाने की कोशिश को अन्ना टीम के नजरअंदाज ने इस गद्दार की हिम्मत बढ़ा दी. और इसने संतसमाज, आर्यसमाज, विशवास, भगवां भेष, इंसानियत सहित देश की नाक कटवाने वाला निंदनीय पाप कर दिया. इस पाप कर्म में किस मंत्री की मदद थी की जांच के साथ-साथ यह भी जांच होनी चाहिए कि जो 4-5 जून की रात्रि को हुआ उसमे ढोंगी अग्निवेश का हाथ है या नहीं. देशहित को लेकर मीडिया को भी जांच अपने स्तर पर करनी चाहिए की अपील की जाती है. 
2.) क्या वास्तव में सांसदों का काम पगड़ी उछालना ही है ? क्या इन्हें मात्र पगड़ी उछलने के लिए ही चुना है ? ये लोग तो ऐसा ही मानते हैं. यही वजह है कि 27 अगस्त को संसद में श्री शरद यादव ने छाती ठोक कर कहा " हमारा 
 
काम तो पगड़ी उछालना ही है." सांसदों ने मेजें थपथपा कर इनकी बात का समर्थन किया. क्या श्री यादव व मेज थपथपाने वाले सदस्यों के व्यव्हार से संसद की गरिमा को चोट नहीं पहुंची ? फिर किस आधार पर ये लोग संसद की गरिमा, संसद की गरिमा की दुहाई देते रहते हैं ? क्या इनसे इनके तानाशाही व्यवहार के लिए कोई पूछने वाला नहीं है ? अगर कोई है तो पूछा क्यों नहीं जाता ? हमें श्री यादव के व्यवहार पर सख्त ऐतराज़ है. 

Thursday, August 25, 2011

अन्ना देशहित को लेकर 9 दिनों से अनशन पर थे वहीं PM की दावत में सभी दलों के नेताओं ने स्वादिष्ट भोजन का खुल कर आनंद लिया.


सिरसा 26 अगस्त 2011.
सिर्फ हम ही नहीं पूरा देश महिला लेखक माननीय देवी चेरियन के विचार " चतुर कांग्रेसी राजनीतिज्ञों व रणनीतिकारों ने PM के बचाव के बजाए पूरी सफलता से उनकी छवि के परखच्चे उड़ा दिए. वही PM (सलाहकार सहित) ने चुप्पी धारण करके न सिर्फ अपनी बल्कि उस कांग्रेस और नेहरु/गाँधी परिवार की छवि धूमिल की जिसने इन्हें PM बनाया."  पूरी तरह से सहमत हैं. दुसरे जानकार लेखकों ने भी समय-समय पर अपने विचार कुछ ऐसे ही दिए कि "कुछ लोग श्रीमती सोनिया गाँधी व राहुल को सबक सिखाना चाहते हैं वहीं कुछ PM को घेरना चाहते हैं." कुछ भी हो अन्ना ने भ्रष्टाचार मुद्दे पर देश के सभी वर्ग के फूलों को एक माला का रूप दे diya.
सिरसा 25 अगस्त 2011.
रोम जल रहा है, नीरो महल में बैठा चैन से बंसी बजा रहा है." यह कहावत सरकार व राजनीतिक दलों पर पूरी तरह से फिट बैठती है. अन्ना देशहित को लेकर 9 दिनों से अनशन पर थे को पूर्ण अनदेखा करके जहां PM ने दावत दी वहीं सभी दलों के नेताओं ने स्वादिष्ट भोजन का खुल कर आनंद लिया. ऐसे समय में अन्ना के समर्थन में ( जैसे कुछ लोग नाटक कर रहे हैं ) उपवास रखने के बजाए दिखावे के तौर पर मियादी के माध्यम से अन्ना अनशन तोड़े की अपील करना नहीं भूले. बकौल मंत्री सलमान खुर्शीद वो बात करना चाहते हैं लेकिन सहयोगी मंत्री नहीं चाहते. ऐसे में सवाल यह  उठता है कि सरकार क्या चाहती है तथा सरकार को चला कौन रहा है ? हमारी सोच यह है कि सरकार जो चाहे करे लेकिन अंतिम फैसला जब प्रकृति करेगी तब दुनिया की सारी सरकारें, पुलिस व मिलट्री रोक नहीं पाएंगी. अब भी सरकार के पास अच्छा करने के लिए बहुत कुछ है.
2. आदरणीय अन्ना के अनशन का 10वें दिन में प्रवेश अपने आप में पुख्ता प्रमाण है कि वास्तव में अन्ना अनशन से फ़िक्र करने वालों की सेहत दिन-प्रतिदिन बिगड़ रही है चिंता उसकी है न कि आदरणीय अन्ना की.
3. आदरणीय अन्ना के दर्द एवं पवित्र संकल्प को मीडिया के कुछ लोग 'जिद्द" मान रहे हैं वह न्यायप्रिय नहीं है. मीडिया को "दर्द"         व "जिद्द" शब्द में फर्क करना चाहिए.
4. माननीय ईश्वर डावरा जी, आपने आदरणीय अन्ना जी को बहुमूल्य राय उस समय अपने लेख के जरिये दी जब अन्ना जी का अनशन 10वें दिन में प्रवेश कर गया. आपकी इस राय को क्यों, कैसे व कहां तक उचित माना जाए ? अन्ना जी की अनशन घोषणा से अब तक आप क्यों चुप रहे ? आप अपने ज्ञान को इस पवित्र देश हितैषी कार्य में लगाएं न लगाएं आपकी इच्छा, पर कृपया कांटे बिछाने का कार्य तो न कीजिये.   -  पाठक सिरसा        
सिरसा 24 अगस्त 2011.
जनता  के वोट से बनी सरकार भ्रष्टाचार मिटाने हेतु बयान देती रहती है कि वह वचनबद्ध है लेकिन इसे मिटाने के लिए "जन लोकपाल" की मांग जिसके लिए अन्ना 9 दिन से अनशन पर है जन्हें देश का भरपूर समर्थन है को स्वीकार नहीं करना चाहती. जाहिर है सरकार की कथनी व करनी में जमीन आसमान का  फर्क है. जिसे देश जान चुका है. सरकार की छवि निरंतर धूमिल होती जा रही है.
 

Sunday, August 14, 2011

अब तो देश पूर्णरूप से समझ गया कि वास्तव में अन्ना के शांतिपूर्ण देश हितैषी आन्दोलन का विरोध सरकार के बजाए सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस कर रही है


सिरसा 14 अगस्त 2011. 
1. अब तो देश पूर्णरूप से समझ गया कि वास्तव में अन्ना के शांतिपूर्ण देश हितैषी आन्दोलन का विरोध सरकार के बजाए सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस कर रही है. सरकार कांग्रेस की नहीं UPA की है. कांग्रेस के सिवाए बाकि घटक दल न सिर्फ चुप है बल्कि DMK ने तो अन्ना के बिल का समर्थन तक किया जिसे कांग्रेस ने माना. कांग्रेस को अन्ना के विरोध के बजाए देश की पूर्व PM स्वर्गीय श्रीमती इन्द्र गाँधी के उस " गरीबी हटाओ " नारे को साकार रूप देने के लिए बहुत कुछ करना चाहिए जो 40 साल पहले दिया गया था. 
 
 
2. देश हित हेतु आमरण अनशन करने वाले आदरणीय अन्ना बारे " बोखलाए अन्ना " जैसे गंदे; स्तरहीन व निंदनीय शब्दों का प्रयोग करने वाले चैनल CNEB को जितनी लानत भेजी जाए कम है.
सिरसा 13 अगस्त 2011
अन्ना के देश हितैषी अनशन को अवैध बताने वाले देश के गृहमंत्री व अन्ना पर कटाक्ष करने वाली कांग्रेस अलगाववादी नेताओं की अफजल गुरु को फांसी देने पर जो चेतावनी दी है पर चुप है . यही नही ये तब भी चुप रहे जब महाराष्ट्र के CM ने "CBI; CVC व CAG" को आतंकियों से निपटने में रोड़ा बतलाया. लेकिन कांग्रेस नेता श्री मनीष तिवारी को भ्रष्टाचार उजागर करने पर CAG रिपोर्ट पर इतना गुस्सा आया कि श्रीमान जी ने संसद में सभी से हाथ जोड़ कर प्रार्थना तक कर दी कि अगर " सुप्रीम कोर्ट व CAG " को नहीं रोका गया तो एक दिन संसद की चाबी इन्हें देनी पड़ेगी. जाहिर है कि कांग्रेस व कांग्रेसनीत सरकार माओवाद; भ्रष्टाचार व अलगाववादियों को तो सहन कर सकती है लेकिन सरकार को सरकार का कसूर होने के बावजूद भी जो कटघरे में खड़ा करे को बर्दाश्त नहीं कर सकती. फिर भी कांग्रेस ढोल लोकतंत्र का पीट रही है. 

Saturday, August 6, 2011

देश भ्रष्टाचार, घोटालों व महंगाई से त्राहि-त्राहि कर रहा है. लेकिन लेखिका कल्याणी शंकर को परेशानी


सिरसा 06 अगस्त 2011.
देश भ्रष्टाचार, घोटालों व महंगाई से त्राहि-त्राहि कर रहा है. लेकिन लेखिका कल्याणी शंकर को परेशानी ( जो उनके लेख में स्पष्ट दिखाई दे रही है ) अन्ना के भ्रष्टाचार के विरोध से है. लेखिका ने आदरणीय अन्ना के स्वार्थ रहित समाज हितैषी कार्य को " ब्लैक MAILING " की संज्ञा दे कर वास्तव में अपनी स्वार्थी, स्तरहीन व चाटुकारी सोच को बड़ी सफाई से उजागर किया है के लिए जितनी लानत भेजी जाए कम है. देश हितैषी  सेवा में सहयोग के बजाए कांटे बिछाना छी: छी: छी: .  
सिरसा 05 अगस्त 2011.
भ्रष्टाचार पर आधारित " देश की जड़े खोखली हो रही है." श्री विजय चोपड़ा का लेख पढ़ा. आज पूरा देश भ्रष्टाचार की आग से जल रहा है. PMO व PM पर उंगलियाँ उठ रही है ; श्रीमती सोनिया गाँधी के पुतले जलाए जा रहे है. ऐसे में मात्र पंजाब को लेकर लिखना " ऊंट के मुह में जीरा " जैसा ही है. लेख में ऊंट के बजाये जीरे के एक दाने को महत्व देना " WITHOUT FAVOUR & WITHOUT FEAR " कि नीति के अनुरूप नहीं है.  

Thursday, August 4, 2011

एक फ़िल्मी गाने के बोल है " जिसने पाप नही किया वह पापी है ". लगता है वह दिन दूर नहीं


सिरसा 04 अगस्त 2011. एक फ़िल्मी गाने के बोल है " जिसने पाप नही किया वह पापी है ". लगता है वह दिन दूर नहीं जब देश के भ्रष्ट राजनेता अथवा भ्रष्टाचार समर्थक छाती ठोक कर कहेंगे कि " जिसने भ्रष्टाचार नहीं किया वह भ्रष्ट है ."

देश के उन पढ़े लिखे व समझदार माने जाने वाले लोगो को जो देश हितैषी आदरणीय अन्ना के रास्ते में कांटे बिछाने में लगे हुए हैं को किस


सिरसा 03 अगस्त 2011. देश के उन पढ़े लिखे व समझदार माने जाने वाले लोगो को जो देश हितैषी आदरणीय अन्ना के रास्ते में कांटे बिछाने में लगे हुए हैं को किस श्रेणी में रखा जाए ? पढ़े लिखे समझदारों की या जिन्होंने अंग्रेजों से मिल कर देश को 300 सालों की गुलामी में धकेल दिया था. देश को ऐसे लोगों का खुल कर विरोध करे ऐसी अपील की जाती है.

Tuesday, August 2, 2011

B.G. Verghese ने लेख में देशहित हेतु संघर्ष करने वाले आदरणीय अन्ना के बारे " ऐरे - गेरे - नथूखरे

सिरसा 2 अगस्त 2011. B.G. Verghese ने लेख में देशहित हेतु संघर्ष करने वाले आदरणीय अन्ना के बारे " ऐरे - गेरे - नथूखरे " जैसे घटिया शब्दों का प्रयोग करके वास्तव में अपनी घिनौनी स्वार्थी व गन्दी सोच जाहिर कर दी. लेखक को जितनी लानत भेजी जाए कम है.